न्यूज डेस्क
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 16 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर अनौपचारिक बैठक हुई। दरअसल यह बैठक पाकिस्तान द्वारा लिखे गए खत के बाद आयोजित की गई थी।
हालांकि यह बैठक बंद कमरे में हुई लेकिन जब बैठक समाप्त हो गई तब संयुक्त राष्ट्र में भारत, चीन और पाकिस्तान के राजदूतों ने पत्रकारों से बात की।
आतंकवाद रोके पाकिस्तान : भारत
संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत सैयद अकबरुद्दीन ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, अनुच्छेद 370 का मुद्दा आंतरिक मुद्दा है और इसका बाहरी लोगों से कोई लेना-देना नहीं है। जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य करने के लिए आज कई फैसले लिए गए हैं।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार का हालिया फैसला वहां की आर्थिक, सामाजिक विकास के लिए है।
इस दौरान अकबरुद्दीन ने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि एक देश जिहाद और हिंसा की बात कर रहा है और हिंसा किसी मसले को नहीं सुलझा सकती है। उन्होंने कहा कि अगर पाकिस्तान को भारत से बात करनी है तो उसे पहले आतंकवाद को रोकना होगा।
क्या कहा चीन ने?
चीन के राजदूत झांग जुन ने कहा है कि सुरक्षा परिषद के देशों ने माना है कि जम्मू-कश्मीर के मामले को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाया जाना चाहिए और एक तरफा फैसला नहीं लिया जाना चाहिए।
चीन ने कहा है कि उसका मानना है कि इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव के तहत सुलझाया जाना चाहिए और कश्मीर में बहुत खतरनाक स्थिति होने जा रही है। जुन ने कहा कि सदस्यों देश वहां मानवाधिकारों की स्थिति को लेकर भी चिंतित हैं।
इस दौरान चीन ने लद्दाख का मुद्दा भी उठाया। उसने कहा कि अनुच्छेद 370 लद्दाख से भी हटी है और वह इसे अपनी संप्रभुता पर हमला मानता है।
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पाक ने ठोकी अपनी पीठ
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कश्मीर मुद्दे पर बैठक होने से पाक उत्साहित है। पाकिस्तान ने कहा है कि उसने कश्मीर मसले का अंतरराष्ट्रीयकरण कर दिया है।
पाकिस्तान की राजदूत मलीहा लोधी ने कहा कि कई दशकों के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में यह मुद्दा उठा है और इस मंच पर उठने के बाद यह साबित हो गया है कि यह भारत का आंतरिक नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय मामला है।
राजदूत लोधी ने कहा कि आज की बैठक से एक बात तो साबित हो गई कि जम्मू-कश्मीर भारत का आंतरिक मामला नहीं है। मुझे लगता है कि इस बैठक ने भारत को इस दावे को खारिज कर दिया है कि जम्मू-कश्मीर उसका आतंरिक मामला है।
उन्होंने कहा कि जैसा की चीनी राजदूत ने जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकारों की स्थिति पर जोर दिया, वहां मानवाधिकारों की स्थिति बहुत खराब है और भारत बेरोकटोक इनका उल्लंघन कर रहा है। इस पर भी आज सुरक्षा परिषद ने चर्चा की है।
इस बैठक में पाकिस्तान और भारत नहीं शामिल हुए क्योंकि ये दोनों देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य नहीं हैं।
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