जुबिली न्यूज डेस्क
दुनिया भर में कोरोना के नये मामलों और इससे होने वाली मौतों में कमी देखी गई है। पिछले महीने कई राज्यों में भयानक तबाही मचाने वाला कोरोना अब कमजोर पड़ रहा है।
यह बातें विश्व स्वास्थ्य संगठन की साप्ताहिक रिपोर्ट में कही गई है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक पिछले हफ्ते दुनिया भर में दर्ज कोरोना के नए मामलों और मौतों में कमी देखी गई है। इस दौरान कोरोना संक्रमण के 41 लाख नए मामले सामने आए और 84 हजार लोगों की मौत दर्ज की गई।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की साप्ताहिक रिपोर्ट के अनुसार पिछले सप्ताह उससे पहले वाले सप्ताह की तुलना में नए मामलों में 14 फीसदी और मौतों में 2 फीसदी की कमी आई।
इस सप्ताह यूरोपीय क्षेत्र में नए मामलों और मौतों में सबसे अधिक कमी देखने को मिली है। इसके बाद दक्षिण-पूर्व एशिया में भी सुधार देखा गया।
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक अमेरिकी, भूमध्यसागरीय, अफ्रीकी और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्रों में स्थिति कमोबेश उससे पहले के सप्ताह जैसी ही रही। पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में मौतों के आंकड़े में सबसे अधिक उछाल देखने को मिला है जबकि बाकी क्षेत्रों में सुधार हुआ है।
पिछले चार सप्ताह से भले ही दुनिया भर में स्थिति कुछ सुधरती जा रही है मगर कोविड मामलों और मौतों की संख्या अभी भी बहुत अधिक है। साथ ही, कई देशों ऐसे हैं जहां संक्रमण में मामलों और मौतों में बढ़ोतरी देखी गई है।
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अमेरिका ने कहा-कोरोना के स्रोत का पता लगाने में पारदर्शिता बरते डब्ल्यूएचओ
अमेरिका के स्वास्थ्य मंत्री ने WHO से यह सुनिश्चित करने की अपील की है कोविड-19 के स्रोत की जांच के अगले चरण में ‘पारदर्शिता’ रहे।
WHO की मंत्री स्तर की मीटिंग में जेवियर बेसेरा ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों को भी कोरोना वायरस के स्रोत का पता लगाने की इजाजत देनी चाहिए।
मालूम हो कि कोविड-19 का पहला मामला 2019 के आखिर में चीन के वुहान शहर में दर्ज किया गया था। उसके बाद से दुनिया भर में इसके 16 करोड़ 70 लाख से ज़्यादा मामले दर्ज किए जा चुके हैं और इससे 34 लाख लोगों की जान जा चुकी है।
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इस साल मार्च में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 की शुरुआत को लेकर चीनी वैज्ञानिकों के साथ मिलकर तैयार की गई एक रिपोर्ट जारी की थी जिसमें कहा गया था कि इसके किसी लैब से फैलने की संभावना ‘बहुत ही कम है।’
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हालांकि, WHO ने यह भी माना था कि अभी इस बारे में और अध्ययन करने की जरूरत है।
कोरोना वायरस कहां से फैला, इसको लेकर अब भी संशय बना हुआ है। लेकिन गाहे-बगाहे इसके लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया जाता है।
हाल ही में ‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ ने अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा था कि वुहान लैब के तीन शोधकर्ता साल 2019 के नवंबर में कोविड जैसी बीमारी से जूझ रहे थे।
इससे उन आशंकाओं को बल मिला है कि हो सकता है यह वायरस चीन की किसी लैब से बाहर निकला हो, लेकिन चीन ने इन खबरों को पूरी तरह झूठा बताया है।
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उन्होंने कहा, “कोविड की शुरुआत का पता लगाने की जांच का दूसरा चरण इन शर्तों के साथ शुरू किया जाना चाहिए कि इसमें पारदर्शिता हो, वैज्ञानिक विधि इस्तेमाल की जाए और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों को वायरस के स्रोत वाली जगह पर जाकर जांच करने की पूरी आजादी हो।”