जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली. कोरोना महामारी से निबटने के क्षेत्र में कभी आशा की किरण की शक्ल में दिखाई देने वाली रेमडेसिविर को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी प्रीक्वालिफिकेशन लिस्ट से बाहर कर दिया है. एक समाचार एजेंसी के सवाल पर डब्ल्यूएचओ ने इस बात की पुष्टि भी कर दी है.
डब्ल्यूएचओ ने बताया कि हमने रेमडेसिविर को कोविड-19 मरीजों के इलाज से अलग करने का फैसला किया है, क्योंकि इस दवा का मरीजों की जान बचाने की दिशा में ख़ास प्रभाव नहीं दिख रहा था.
रेमडेसिविर को कभी कोरोना से निबटने में रामबाण माना गया था. अमेरिकन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के इलाज में भी इसका इस्तेमाल किया गया था. पहले कहा गया था कि यह दवा कोरोना संक्रमितों के इलाज में कारगर है. 50 से ज्यादा देशों ने इस दवा को अपने इलाज में शामिल किया था.
अमेरिका के अलावा यूरोपियन संघ ने भी इस दवा को अनुमति दी थी. रेमडेसिविर को रिजेक्ट किये जाने के बाद अमेरिकन वैक्सीन फाइजर के आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति माँगी गई है. फाइजर ने अपनी वैक्सीन को 95 फीसदी कारगर होने का दावा किया है. कम्पनी ने दावा किया है कि फ़ाइज़र वैक्सीन की पर्याप्त डोज़ अगले महीने बाज़ार में आ जायेगी.
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उधर भारत में वैक्सीन तैयार कर रहा सीरम इंस्टीट्यूट का दावा है कि फरवरी तक वह वैक्सीन बाज़ार में उपलब्ध करा देंगे. कंपनी का कहना है कि दो ज़रूरी डोज़ की कीमत सिर्फ एक हज़ार रुपये होगी. इस वैक्सीन का आख़री ट्रायल अभी बाक़ी है.