जुबिली न्यूज डेस्क
कोरोना महामारी के बीच इस समय दुनिया के कई देशों में मंकीपॉक्स के केस सामने आ रहे हैं। इसके बढ़ते मामलों को देखते हुए आशंका जताई जा रही है कि क्या अब मंकीपॉक्स वैश्विक महामारी का रूप लेगा।
लोगों की इस आशंकाओं को देखते हुए अब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बड़ी जानकारी साझा की है। सोमवार को डब्ल्यूएचओ ने कहा कि उसे अभी इस बात की चिंता नहीं है कि अफ्रीकी देशों से परे मंकीपॉक्स एक वैश्विक महामारी को जन्म दे सकता है।
मंकीपॉक्स को लेकर डब्ल्यूएचओ की शीर्ष विशेषज्ञ ने कहा कि उन्हें फिलहाल ऐसा नहीं लगता कि यह बीमारी एक महामारी का रूप लेगी, लेकिन इसके बारे में अभी बहुत कुछ जानना बाकी है।
समलैंगिकों को लेकर दी ये चेतावनी
डब्ल्यूएचओ की विशेषज्ञ डॉक्टर रोजमंड लुईस ने कहा कि एक बड़ा सवाल यह है कि आखिर यह बीमारी फैलती कैसे है। एक बड़ा सवाल यह भी है कि क्या दशकों पहले चेचक टीकाकरण पर रोक लगाए जाने की वजह से इस तरह इसका प्रसार तेज हो सकता है।
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एक सार्वजनिक कार्यक्रम में डॉ. लुईस ने कहा, इस बात पर जोर देना महत्वपूर्ण है कि दुनिया के दर्जनों देशों में अधिकतर समलैंगिक, उभयलिंगी या पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुष मंकीपॉक्स के शिकार हुए हैं। इसलिए वैज्ञानिक इसके बारे में और अधिक स्टडी कर सके और जो लोग इसका शिकार हो सकते हैं, उन्हें ऐहतियात बरतने की सलाह दे सकें।
मंकीपॉक्स मानव चेचक के समान एक दुर्लभ वायरस
डॉ. लुइस ने कहा, इस बीमारी की चपेट में कोई भी आ सकता है, भले ही उसकी लैंगिक पहचान कुछ भी हो। फिलहाल इस बात की आशंका नहीं है कि यह बीमारी महामारी का रूप ले लेगी।
उन्होंने कहा, मंकीपॉक्स मानव चेचक के समान एक दुर्लभ वायरस संक्रमण है। पहली बार 1958 में शोध के लिए रखे गए बंदरों में यह वायरस पाया गया था।
डॉ. लुइस ने कहा, मंकीपॉक्स से संक्रमण का पहला मामला 1970 में दर्ज किया गया था। यह रोग मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावन क्षेत्रों में होता है और कभी-कभी अन्य क्षेत्रों में पहुंच जाता है।
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