जुबिली न्यूज डेस्क
26 नवंबर से दिल्ली की सीमा पर किसानों के आंदोलन चल रहा है। किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच 11 दौर की बातचीत हो चुकी है पर अब तक कोई नतीजा नहीं निकल सका है। किसान कानून खत्म करने पर अड़े हैं और सरकार अपनी जिद पर अड़ी हुई है।
किसान आंदोलन को समर्थन करने वाले किसान नेताओं को आंदोलन के चलते कई मुश्किलों का सामना भी करना पड़ रहा है। इससे पहले किसान नेताओं को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की ओर से समन भेजे जाने, पंजाबी गायकों और आढ़तियों को आयकर विभाग की ओर से नोटिस भेजे जाने की घटनाएं हो चुकी हैं।
अब किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे नेताओं ने शिकायत की है, उन्हें सोशल मीडिया और फोन पर धमकियां दी जा रही हैं।
शुक्रवार को सरकार के साथ हुई ग्यारहवें दौर की बैठक में किसान इस मुद्दे को उठा चुके हैं। क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शनपाल सिंह और और भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत को फोन और सोशल मीडिया पर धमकियां मिली हैं।
‘द न्यू इंडियन एक्सप्रेस’ की खबर के अनुसार दर्शनपाल को फोन पर धमकी देने वाले ने कहा है कि वह सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार कर लें।
किसान नेता ने धमकी देने वाले के नंबर को दिल्ली पुलिस को दे दिया है। इसके अलावा आरोप यह भी है कि किसान नेता रूलदु सिंह मानसा जब सरकार के साथ होने वाली बैठक के लिए निकल रहे थे तो दिल्ली पुलिस के एक कर्मचारी ने उनकी कार के शीशे को तोड़ दिया।
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पुलिस ने खारिज किया आरोप
दिल्ली पुलिस ने मानसा को आरोप को खारिज कर दिया है। दिल्ली पुलिस का कहना है कि मानसा ने ख़ुद ही कार का शीशा तोड़ दिया और पुलिस पर आरोप लगा दिया। पुलिस ने कहा है कि ये चर्चित होने और सहानुभूति हासिल करने की कोशिश है।
वहीं किसान नेता राकेश टिकैत को सोशल मीडिया पर धमकी मिली है कि अगर वह यूपी में वापस लौटे तो उनके लिए मुश्किल खड़ी हो जाएगी।
किसान नेता कुलवंत सिंह संधू का कहना है कि एजेंसियों के जरिये किसान आंदोलन में बाधा डालने की कोशिश की जा रही है। किसान नेताओं ने कहा है कि उनका आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण रहेगा।
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कृषि कानूनों को लेकर जारी गतिरोध के बीच किसानों और सरकार के बीच शुक्रवार को हुई ग्यारहवें दौर की बैठक भी बेनतीजा रही।
बैठक के बाद किसान नेता बलवीर सिंह राजेवाल ने कहा कि सरकार ने किसानों के सामने एक बार फिर पुराना प्रस्ताव रखा लेकिन किसानों ने इसे मानने से इनकार कर दिया।
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अगली बैठक के लिए कोई तारीख भी तय नहीं की गई है। इसका मतलब साफ है कि अब आगे जल्द कोई बातचीत होनी मुश्किल है।
शुक्रवार की हुई बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, ‘बैठक के दौरान जब किसानों ने कहा कि वे सरकार के प्रस्ताव पर राजी नहीं हैं और कानूनों को रद्द करवाना चाहते हैं तो सरकार की ओर से कहा गया कि कानूनों को स्थगित करने का जो प्रस्ताव दिया गया है, वह किसानों और देश के हित में है।’