जुबिली न्यूज डेस्क
मई 2018 में सऊदी अरब की हथलौल उस समय अचानक चर्चा में आ गई थी जब उन्हें दर्जन भर दूसरी महिला कार्यकर्ताओं के साथ गिरफ्तार किया गया था।
हथलौल का जुर्म बस इतना था कि उन्होंने अपने देश की महिलाओं को गाड़ी चलाने का अधिकार देने की मांग उठाई थी।
उनकी यह मांग सरकार को रास नहीं आया जिसके कारण उन्हें सलाखों के पीछे डाल दिया गया, लेकिन उनकी गिरफ्तारी के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुए विरोध के कारण सरकार ने हथलौल की हिरासत के तीन हफ्ते के बाद ही देश ने महिलाओं के ड्राइविंग पर लगा बैन हटा दिया था।
एक बार फिर 31 साल की हथलौल चर्चा में हैं। दरअसल वह तीन साल बाद जेल से रिहा हो गई है। उनकी रिहाई के बाद से जश्न का माहौल है। उनके परिवार के साथ-साथ दुनियाभर के मानवाधिकार संगठनों के साथ कई देशों ने उनकी रिहाई का स्वागत किया है।
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हथलौल को जब गिरफ्तारी के समय सऊदी अरब ही एक मात्र दुनिया का ऐसा देश था जहां महिलाओं के गाड़ी चलाने पर प्रतिबंध था।
खुशी का है माहौल
हथलौल की रिहाई से उनका परिवार के लोग काफी खुश है। फिलहाल अभी वह परिवीक्षा पर रहेंगी।
हथलौल की रिहाई इतनी आसान नहीं थी। उनकी रिहाई के लिए उनके परिजनों, रिश्तेदारों ने अभियान चलाया था।
हथलौल की बहन लिना-अल हथलौल ने ट्विटर पर लिखा, “लुजैन घर पर हैं। 1001 दिन जेल में बिताने के बाद वह घर आ गई है। ” लिना ने अपने ट्वीट के साथ हथलौल की फोटो भी साझा की है।
बीते साल दिसंबर में सऊदी अरब की विशेष अपराध अदालत ने हथलौल को पांच साल आठ महीने की सजा सुनाई थी। उन्हें आतंकवाद निरोधी कानूनों के तहत दोषी माना था।
इसके बाद कोर्ट ने उनकी दो साल 10 महीने की सजा निलंबित कर दी थी। हालांकि हथलौल जेल में रहते हुए ज्यादातर सजा काट चुकी हैं।
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यूएन व अमेरिका ने रिहाई का किया स्वागत
हथलौल की रिहाई का कई देशों ने स्वागत किया है। अमेरिका ने उनकी रिहाई को स्वागत योग्य कदम बताया है। अमेरिका ने कहा कि उन्हें जेल भेजना सही नहीं था।
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा, ” महिला अधिकारों और अन्य मानवाधिकारों के लिए अभियान और वकालत करना कभी भी अपराध नहीं माना जाना चाहिए।”
हथलौल की रिहाई का संयुक्त राष्ट्र ने भी स्वागत किया है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंटोनियो गुटेरेश के प्रवक्ता स्टीफन डुजारिक ने अपने एक बयान में कहा, “यह महत्वपूर्ण कदम है। हथलौल जैसी स्थिति में हैं जो अन्य लोग जेल में हैं उन्हें भी रिहा किया जाए।”
हालांकि रिहाई के बाद भी हथलौल पर सऊदी की अदालत द्वारा पांच साल के लिए यात्रा प्रतिबंध लगा हुआ है।
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मानवाधिकार समूहों के साथ हथलौल के परिजनों का कहना है कि उन्हें जेल में यातनाएं दी गईं। उन्हें बिजली के झटके दिए गए, कोड़े मारे गए और इतना ही नहीं उनका यौन शोषण भी किया गया। हालांकि सऊदी ने इन आरोपों से इनकार किया है।
संयुक्त राष्ट्र ने हथलौल की रिहाई के कदम का स्वागत किया है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंटोनियो गुटेरेश के प्रवक्ता स्टीफन डुजारिक ने एक बयान में कहा, “यह महत्वपूर्ण कदम है. जो उनके जैसी स्थिति में हैं, जिन्हें वैसे ही कारणों से जेल में डाला गया है, उन्हें भी रिहा किया जाए।”