न्यूज डेस्क
अंडरवर्ल्ड डॉन करीम लाला भले ही अब दुनिया में न हो, लेकिन बुधवार से चर्चा में बना हुआ है। चर्चा की वजह है राजनीति है। दरअसल शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने करीम के राजनीतिक संबंधों को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने बुधवार को एक साक्षात्कार में दावा किया था कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी अंडरवर्ल्ड डॉन करीम लाला से मिलने के लिए मुंबई आया करती थीं।
शिवसेना प्रवक्ता ने मुंबई में अंडरवर्ल्ड की बात करते हुए कहा कि एक दौर था जब दाऊद इब्राहिम, छोटा शकील और शरद शेट्टी मुंबई के पुलिस कमिश्नर तय किया करते थे, लेकिन अब वे सिर्फ चिल्लर हैं।
राउत के इस बयान के बाद से करीम लाला की चर्चा शुरु हो गई है कि आखिर कौन था करीम लाला। अंडरवर्ल्ड में उसकी कितनी धमक थी। मुंबई को वह कैसे चलाता था।
अफगानिस्तान से भारत आया था करीम
करीम का जन्म अफगानिस्तान के कुनार प्रांत में 1911 में हुआ था। उसका असली नाम अब्दुल करीम शेर खान था। उसे पश्तून समुदाय का आखिरी राजा भी कहा जाता है। वह काफी सम्पन्न कारोबारी खानदार से ताल्लुक रखता था। ज्यादा कामयाबी हासिल करने की चाह में करीम हिंदुस्तान आया था।
पहला माफिया डॉन था करीम लाला
वैसे तो हाजी मस्तान मिर्जा को मुंबई अंडरवर्ल्ड का पहला डॉन कहा जाता है, लेकिन जानकार बताते हैं कि सबसे पहला माफिया डॉन करीम लाला था, जिसे खुद हाजी मस्तान भी असली डॉन कहा करता था। करीम लाला का आतंक मुंबई में सिर चढक़र बोलता था। मुंबई में तस्करी समते कई गैर कानूनी धंधों में उसके नाम की तूती बोलती थी। बताया जाता है कि वह जरूरतमंदों और गरीबों की मदद भी करता था।
21 की उम्र में आया था भारत
21 साल की उम्र में अब्दुल करीम शेर खान उर्फ करीम लाला ने भारत हिंदुस्तान आने का फैसला किया था। वह पाकिस्तान के पेशावर शहर के रास्ते मुंबई पहुंचा था। मुंबई में दिखाने के लिए करीम ने कारोबार शुरू कर दिया था, लेकिन हकीकत में वह मुंबई डॉक से हीरे और जवाहरात की तस्करी करने लगा था। 1940 तक उसने इस काम में एक तरफा पकड़ बना ली थी। तस्करी के धंधे में उसे काफी मुनाफा हो रहा था। पैसे की कमी नहीं थी बावजूद इसके उसने मुंबई में कई जगहों पर दारू और जुए के अड्डे भी खोल दिए। उसका काम और नाम दोनों ही बढ़ते जा रहे थे।
घर पर लगता था जनता दरबार
करीम के घर पर रोज जनता दरबार लगता था। वह लोगों की समस्या को मध्यस्थ के तौर पर शामिल होकर निपटाता था। इस काम ने उसे इतना लोकप्रिय बना दिया था कि हर समाज और संप्रदाय के लोग उसके पास मदद मांगने आते थे। उसके यहां अमीर और गरीब का कोई फर्क नहीं होता था। बताते हैं कि मुंबई में उसके घर पर हर शाम जनता दरबार लगने लगा था, जहां वो लोगों से मिलता था। जरूरतमंदों और गरीबों की मदद करता था। वहीं, करीम लाला तलाक चाहने वाले लोगों को अक्सर समझाता था कि तलाक समस्या का हल नहीं होता।
फिल्मी लोगों से था करीबी रिश्ता
करीम लाला का बॉलीवुड के लोगों से भी करीबी रिश्ता था। अभिनेत्री हेलन एक बार मदद के लिए करीम लाला के पास आई थीं। हेलन का एक दोस्त पीएन अरोड़ा उसकी सारी कमाई लेकर फरार हो गया था। वो पैसे वापस देने से मना कर रहा था। हताश होकर हेलन सुपरस्टार दिलीप कुमार के माध्यम से करीम लाला के पास पहुंचीं। दिलीप कुमार ने उन्हें करीम लाला के लिए एक खत भी लिखकर दिया। करीम लाला ने इस मामले में मध्यस्थता की और हेलन का पैसा वापस मिल गया था।
दाऊद की पिटाई की आज भी होती है चर्चा
मुबंई में एक ओर करीम का बोलबाला था तो वहीं दूसरी ओर दाऊद इब्राहिम भी अपनी पैठ बना रहा था। तस्करी के धंधे में दाऊद के आने से करीम लाला हैरान परेशान था। दोनों के बीच दुश्मनी खुलकर सामने आ चुकी थी। बताते हैं कि एक बार में दाऊद इब्राहिम मुंबई में ही करीम लाला के हत्थे चढ़ गया था। उसे पकडऩे के बाद करीम ने उसकी जमकर पिटाई की थी। इस दौरान दाऊद को गंभीर चोटें आई थीं। यह बात मुंबई के अंडरवर्ल्ड में आज भी प्रचलित है।
भाई की मौत का बदला लिया दाउद ने
दाऊद की एंट्री से पहले अंडरवर्ल्ड खून खराबा नहीं होता था, लेकिन करीम लाला से दुश्मनी लेकर दाऊद को बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ा। दोनों के बीच दुश्मनी और नफरत इस कदर बढ़ गई कि 1981 में करीम लाला के पठान गैंग ने दाऊद इब्राहिम के भाई शब्बीर की दिन दहाड़े हत्या कर दी थी। भाई के कत्ल से दाऊद तिलमिला उठा था। मुंबई की सडक़ों पर गैंगवार शुरू हो गई थी। दाऊद गैंग और पठान गैंग के बीच खूनी जंग का आगाज हो चुका था। दाऊद अपने भाई की मौत का बदला लेना चाहता था और शब्बीर की मौत के ठीक पांच साल बाद 1986 में दाऊद इब्राहिम के गुर्गों ने करीम लाला के भाई रहीम खान को मौत के घाट उतार दिया था।
2002 में मुंबई में हुई थी करीम की मौत
1981 से 1985 के बीच मुंबई अंडरवर्ल्ड में करीम लाला गैंग और दाऊद के बीच जमकर गैंगवार होती रही। नतीजा यह हुआ कि दाऊद इब्राहिम की डी कंपनी ने धीरे धीरे करीम लाला के पठान गैंग का मुंबई से सफाया ही कर दिया। इस गैंगवार में दोनों तरफ के दर्जनों लोग मारे गए। हाजी मस्तान और करीम लाला की दोस्ती भी लोगों के बीच मशहूर रही। 90 साल की उम्र में 19 फरवरी, 2002 को मुंबई में ही करीम लाला की मौत हो गई थी।