जुबिली न्यूज डेस्क
इसी साल फरवरी माह के अंतिम सप्ताह में दिल्ली में हुए दंगे को लेकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट जारी की है।
सीपीएम ने इस साम्प्रदायिक हिंसा के लिए गृह मंत्री अमित शाह को सीधे जिम्मेदार ठहराया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमित शाह के अंतर्गत आने वाला गृह मंत्रलाय कई मायनों में हिंसा भड़कने के पीछे जिम्मेदार था।
सीपीएम ने अपनी इस रिपोर्ट को ‘उत्तर-पूर्व दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा, फरवरी 2020’ नाम से निकाला है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि फरवरी माह में दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा को दिल्ली दंगे कहना गलत है। दंगे वह होते हैं, जहां दोनों पक्ष बराबर के भागीदार होते हैं। यहां आक्रामकता हिंदू पक्ष की भीड़ की तरफ से था, जबकि दूसरा पक्ष खुद को ऐसे हमलों से बचाने में लगा। लगभग सभी क्षेत्रों में ऐसे वीडियो सबूत हैं, जहां पुलिस को हिंदुत्ववादी भीड़ का पक्ष लेते देखा जा सकता है।
24 फरवरी को दिल्ली में हुए साम्प्रदायिक दंगे में कुल 53 लोगों की जान गई थी, जिसमें 40 मुस्लिम और 13 हिंदू शामिल थे।
लेफ्ट पार्टी की रिपोर्ट में आगे सवाल करते हुए कहा गया है, “11 मार्च 2020 को अमित शाह ने संसद को बताया कि वे दिल्ली के प्रमुख पुलिस अधिकारियों से संपर्क में हैं और हालात की निगरानी कर रहे हैं। सवाल यह है कि 24 फरवरी को जब हिंसा भड़की, तब कर्फ्यू क्यों नहीं लगाया गया? आखिर क्यों सेना नहीं तैनात की गई? यहां तक की दिल्ली पुलिस और रैपिड एक्शन फोर्स (क्र्रस्न) के जवानों की संख्या भी बेहद कम और तैनाती काफी देर से की गई थी।”
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रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 23 फरवरी से 27 फरवरी के बीच 26 लाख आबादी वाले एक जिले में सिर्फ 1393 से 4756 जवान ही तैनात रहे थे।
इसी रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि इससे पहले कि घटना में कोई जांच होती, गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में 11 मार्च को इसका ब्योरा दे दिया। इसके बाद जो जांच हुई सिर्फ उनका नजरिया वैध करार देने के लिए हुई। गृह मंत्री ने बीजेपी नेताओं के उन भाषणों को भी नजरअंदाज किया, जिसमें देशद्रोहियों को गोली मारने की बात कही गई थी।
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सीपीएम ने आरोप लगाया है कि शाह ने नफरत भरे भाषणों के लिए उल्टे विपक्ष पर ही आरोप लगा दिया और कहा कि 14 दिसंबर 2019 को कांग्रेस ने ही अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों से कहा था कि वे करो या मरो की लड़ाई के लिए सड़कों पर आ जाएं। इस तरह से शाह ने न सिर्फ हिंसा के लिए विपक्ष को जिम्मेदार ठहरा दिया, बल्कि उन्होंने अल्पसंख्यक समुदाय को भी इसमें लपेट लिया।