Wednesday - 30 October 2024 - 2:15 AM

‘स्वच्छ भारत’ अभियान के दावों की डब्ल्यूएचओ ने खोला पोल, रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

जुबिली न्यूज डेस्क 

‘स्वच्छ भारत’ अभियान मोदी सरकार का सबसे बड़ा अभियान है. इस अभियान के तहत पूरे देश को खुले में शौच से मुक्त  कराना था. वहीं इसको लेकर मोदी सरकार ने ‘स्वच्छ भारत’ अभियान के तहत 2019 में ही भारत को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर दिया था. लेकिन ये कितना सच है, क्या वाकई में पूरा देश शौच मुक्त हो गया है…आईए जानते हैं….

बता दे कि डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ की एक नई रिपोर्ट  सामने आई है, जो  कुछ और ही कहानी बता रही है. डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ ने हाल ही में पानी की सप्लाई और स्वच्छता पर अपने जॉइंट मॉनिटरिंग प्रोग्राम की ताजा रिपोर्ट जारी की है, जो 2022 तक इन मोर्चों पर अलग अलग देशों द्वारा दर्ज की गई तरक्की के बारे में विस्तार से बताती है. दो अक्टूबर, 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर दिया था. लेकिन इन वैश्विक संस्थानों की इस नई रिपोर्ट की मानें तो हकीकत कुछ और है.

 खुले में शौच कभी बंद ही नहीं हुआ

रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि  2022 में ग्रामीण भारत में 17 प्रतिशत लोग अभी भी खुले में शौच कर रहे थे. भारत की कुल आबादी करीब 1.40 अरब है, जिसमें करीब 65 प्रतिशत लोग ग्रामीण इलाकों में रहते हैं. तो इस रिपोर्ट के मुताबिक कम से कम 15 करोड़ लोग आज भी खुले में शौच करते हैं.

इतना ही नहीं, रिपोर्ट ने यह भी दावा किया है कि ग्रामीण भारत में करीब 25 प्रतिशत परिवारों के पास अपना अलग शौचालय भी नहीं है. यह भी ओडीएफ घोषित किये जाने के मुख्य लक्ष्यों में से था. जुलाई 2021 में इन दोनों संस्थाओं ने कहा था कि तब ग्रामीण भारत में खुले में शौच करने वालों की संख्या 22 प्रतिशत थी, यानी एक साल में समस्या पांच प्रतिशत और कम हुई है. 2015 में यह संख्या 41 प्रतिशत थी.

 सरकार के दावों पर एक बड़ा सवाल

रिपोर्ट की माने तो भारत ने खुले में शौच से लड़ाई में लगातार तरक्की हासिल की है लेकिन साथ ही रिपोर्ट ने पूरी तरह खुले में शौच से मुक्ति के सरकार के दावों पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है.

ये भी पढ़ें-बारिश का कहर जारी, दिल्ली, हरियाणा, यूपी समेत इन राज्यों में बंद रहेंगे स्कूल

हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. भारत सरकार के ओडीएफ लक्ष्यों, परिभाषा और दावों को लेकर शुरू से विवाद रहा है. सरकार के स्वच्छ भारत मिशन के तहत ओडीएफ की परिभाषा है – खुले में मल नजर ना आना और हर घर और सार्वजनिक संस्थान द्वारा मल के निस्तारण के लिए सुरक्षित तकनीकी विकल्पों का इस्तेमाल.

ओडीएफ के दावों को गलत बताया

2019-20 में हुए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के पांचवें दौर के मुताबिक उस समय देश में कम से कम 19 प्रतिशत परिवार खुले में शौच कर रहे थे. बिहार, झारखंड और ओडिशा जैसे राज्यों में तो यह संख्या 62, 70 और 71 प्रतिशत तक थी.एक बार फिर सरकार के ओडीएफ के दावों को गलत बताया गया है. देखना होगा कि सरकार इस अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट के नतीजों को चुनौती देती है या नहीं.

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com