जुबिली न्यूज डेस्क
कोरोना वायरस के नये स्ट्रेन के बीच कोरोना वायरस का टीकाकरण शुरु हो गया है। ब्रिटेन ने बुधवार को ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल को मंज़ूरी दे दी। अब उम्मीद की जा रही है कि भारत में भी इस वैक्सीन को मंज़ूरी जल्द मिल जायेगी।
भारत का सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया इस वैक्सीन (कोविशील्ड) का उत्पादन कर रहा है और उसने शुरू में ही 50 प्रतिशत वैक्सीन भारत को देने का वादा किया था.
ब्रिटेन पहला देश है जिसने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन के इस्तेमाल को मंज़ूरी दी है। उम्मीद की जा रही है कि ब्रिटेन की सरकार के इस निर्णय के बाद भारतीय दवा नियामक भी इस पर कोई निर्णय ले सकता है।
मीडिया रिपोर्ट के अुसार सेंट्रल ड्रग्स स्टेंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइज़ेशन (सीडीएससीओ) की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (एसईसी) ने इस संबंध में बुधवार को एक बैठक की।
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बैठक में कमेटी के सदस्यों ने वैक्सीन से संबंधित कुछ और डेटा मांगा है जिसकी वजह से इस वैक्सीन के इस्तेमाल को मंज़ूरी मिलने में कुछ और वक्त लग सकता है।
सीरम को यह डेटा उपलब्ध कराना है जिसके जरिए कमेटी इस बात की समीक्षा करेगी कि वैक्सीन कितनी कारगर और सुरक्षित है।
एसईसी की अगली बैठक 1 जनवरी को होने वाली है और यह उम्मीद की जा रही है कि जनवरी के शुरुआती हफ्तों में ही इस वैक्सीन के इस्तेमाल को मंज़ूरी मिल सकती है।
ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की इस वैक्सीन को ‘वैक्सीन फॉर द वर्ल्ड’ भी कहा जा रहा है क्योंकि यह सस्ती है और इस वैक्सीन की देखरेख, फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन की तुलना में आसान है।
ब्रिटेन ने 2 दिसंबर को फाइजर-बायोएनटेक द्वारा विकसित वैक्सीन के इस्तेमाल को मंज़ूरी दी थी। तब ब्रिटेन पहला देश था जिसने किसी कोविड वैक्सीन को मंज़ूरी दी थी। उसके बाद 18 दिसंबर को अमेरिका ने मॉडर्ना की वैक्सीन को मंज़ूरी दी।
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ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन के इस्तेमाल को मंज़ूरी मिलने पर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने भी ख़ुशी जाहिर की है। उन्होंने कहा है कि यह ब्रिटेन के वैज्ञानिकों की बड़ी उपलब्धी है।
ब्रिटेन में कोरोना के केस एक बार फिर तेजी से बढ़ रहे हैं। साथ ही कोरोना के नये वेरिएंट को लेकर भी दुनिया भर में चिंता बढ़ी है, जिसकी पहचान पहले ब्रिटेन में ही की गई।
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने इसे भारत के लिए भी उतनी ही बड़ी ख़बर बताया है। उन्होंने कहा है कि यह वाकई एक महत्वपूर्ण प्रगति है और उन्हें भारतीय नियामकों से इस वैक्सीन के इस्तेमाल की मंज़ूरी मिलने का इंतजार है।
गावी और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया के बीच हुए समझौते के तहत भारत को ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन के 100 मिलियन डोज मिलने हैं, लेकिन इस वैक्सीन को अभी मंज़ूरी मिलने का इंतजार करना होगा।
फाइजर-बायोएनटेक और भारत बायोटेक (कोवाक्सिन) भी अपनी वैक्सीन के इस्तेमाल को मंज़ूरी दिलाने के लिए भारतीय नियामक के समक्ष आवेदन कर चुके हैं। भारत सरकार इन दोनों टीकों के इस्तेमाल को मंज़ूरी देने पर भी विचार कर रही है।
भारत सरकार का लक्ष्य है कि वो अगले वर्ष जुलाई तक कम से कम 300 मिलियन लोगों को कोविड वैक्सीन लगाना चाहती है।