Wednesday - 30 October 2024 - 12:39 PM

ये जिद हमें कहां ले जायेगी

सुरेंद्र दुबे

भारतीय जनता पार्टी में विवादित बोल बोलने वाले नेताओं की एक लंबी फौज है। देखने में ऐसा लगता है जैसे इन लोगों के घटिया व्यवहार और बयान इनके अपने हैं पर ऐसा है नहीं। ऐसे नेताओं को भाजपा पूरी तरह संरक्षण देती है और आलोचना से बचने के लिए जो घटिया बयान वो स्वयं नहीं देना चाहती उसे इस तरह के घटिया नेताओं की मुंह में भर देती है।

फिर क्या है, ये नेता जगह-जगह इन बयानों को उगलते रहते हैं और गंदगी फैलाते रहते हैं। एक समय में चाल-चरित्र और चेहरा का गुणगान करने वाली भाजपा का असली चरित्र अब सामने आया है। जिसमें उसका चेहरा तमतमाया हुआ है और चाल लोकतंत्र के विपरीत है।

पिछले कुछ दिनों में आए बीजेपी सांसदों, विधायकों और तो और केन्द्रीय मंत्रियों के बयानों को देखे तो पता चलता है कि बीजेपी का असली चरित्र क्या है। देशभर में नागरिकता संसोधन कानून का विरोध हो रहा है और बीजेपी के माननीय इसको लेकर जनता को समझाने के बजाए एक वर्ग विशेष पर या तो टिप्पणी कर रहे हैं या तो उन्हें दूसरे देश भेजने की धमकी दे रहे हैं।

जाहिर है ये माननीय अपनी मर्जी से तो ऐसे नहीं ही बोल रहे होंगे। बिना किसी के शह के ये बयानवीर ऐसे तो मोर्चा नहीं ले रहे होंगे।

आज अखबारों में प्रमुखता से दो बड़े चेहरों के बयान दिखे। एक तो पश्चिम बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय और दूसरे संगीत की दुनिया से आए केन्द्रीय मंत्री बाबुल सुप्रीयो। आइए कैलाश वियजवर्गीय के ताजा बयान को समझते हैं कि आखिर वो कहना क्या चाहते हैं। अपने बेटे आकाश की ही तरह वह भी इंदौर में नगर पालिका के अधिकारियों की ऐसी-तैसी करने में व्यस्त हैं जो सरकार के आदेश का पालन कर अवैध निर्माणों को तोड़ने में लगे हैं।

कैलाश विजयवर्गीय ने अधिकारियों को धमकी देते हुए कहा है कि बीजेपी को लोगों को निशाना बनाकर उनके मकान तोड़े जा रहे हैं। इस पर वह इतना नाराज हो गए कि उन्होंने धमकी देते हुए कहा कि संघ के पदाधिकारी साथ में न होते तो इंदौर को आग लगा देते।

इसके पहले उनके बेटे आकाश विजयवर्गीय निगम के अधिकारियों को बल्ला लेकर मारने के लिए दौड़े थे जिसका वीडियो वायरल होने के बाद बीजेपी की किरकिरी हुई थी। इस मामले में तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी आगे आकर बचाव करना पड़ा था। लगता है बाप-बेटे दोनों का स्टाइल एक ही है।

अब दूसरे बयानवीर पश्चिम बंगाल से बीजेपी के सांसद व केन्द्रीय मंत्री बाबुल सुप्रीयो की सुनते हैं। दरअसल सोशल मीडिया पर बाबुल सुप्रीयो और एक मुस्लिम छात्र के बीच बहस छिड़ गई। बहस के बाद केंद्रीय मंत्री ने छात्र को धमकी देते हुए कहा कि ‘बोरिया बिस्तर समेटकर वापस भेज दूंगा तुम्हारे देश।’ 

मुस्लिम छात्र और केंद्रीय मंत्री के बीच बहसबाजी का यह दौर उस वक्त शुरू हुआ जब केंद्रीय मंत्री ने 26 दिसंबर को जाधवपुर की छात्रा द्वारा नागरिकता कानून की प्रति फाड़ने  की निंदा करते हुए अपना एक पोस्ट फेसबुक पर शेयर किया था।

सुप्रीयो के इस पोस्ट पर अगले दिन कमेंट करते हुए रहमान नामक एक छात्र ने केन्द्रीय मंत्री और पश्चिम बंगाल पार्टी अध्यक्ष दिलीप घोष का शिक्षा प्रमाण पत्र मांग लिया। फिर क्या, सुप्रीयो को छात्र की बात इतनी बुरी लग गई कि उन्होंने सोशल मीडिया पर उसे धमकी दते हुए कहा कि ‘मुस्तफिज्जुर रहमान पहले मुझे तुम्हारा बोरिया बिस्तर समेटकर तुम्हारे देश भेजने दो इसके बाद पोस्टकार्ड के जरिए तुम्हें रिप्लाई करूंगा।’

अब बीजेपी के फायरब्रांड नेता गिरिराज सिंह की भी सुनिए। एक जनवरी को बेगूसराय में उन्होंने कहा, ‘प्राइवेट स्कूलों में बच्चों को गीता का श्लोक सिखाया जाए और स्कूल में मंदिर बनाया जाए, क्योंकि मिशनरी स्कूलों में बच्चे पढ़-लिखकर डीएम, एसपी और इंजीनियर तो बन जाते हैं लेकिन वही बच्चे जब विदेश जाते हैं तो अधिककर गोमांस का भक्षण करते हैं। उन्हें वह संस्कार ही नहीं मिल पाता है। लिहाजा जरूरी है कि बच्चों को बचपन से ही स्कूलों में गीता का श्लोक और हनुमान चालीसा पढ़ाया जाए।’

भाजपा नेताओं की अपने विचारों को ही सच व अकाट्य मानने की जिद ने लोगों को ये सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या विरोध करना भी लोकतंत्र का कोई अधिकार है या नहीं। गलत-सलत जो भी करते हैं उसे धमकी के जरिए या कानून के जरिए मनवाने की कोशिश करते हैं और कुछ भी सुनने को तैयार नहीं होते।

इसे ही कहते हैं चोरी की चोरी ऊपर से सीनाजोरी।

यहां तो हमने सिर्फ तीन भाजपा नेताओं की एक बानगी दी है जिनमें दो केन्द्र सरकार में मंत्री हैं। सारे नेताओं की फेहरिस्त आपके सामने रखेंगे तो फिर एक उपन्यास लिख जायेगा। कहते हैं कि एक चावल को देखकर ही पता चल जाता है कि हांडी के सारे चावल कैसे हैं।

इस तरह के नेताओं का एजेंडा भाजपा की उस तमतमाए चेहरे को सामने रखना होता है जिन्हें विरोध का कोई भी स्वर पसंद नहीं है। इसीलिए विरोध होने पर जब गुस्सा जाते हैं तो किसी को पाकिस्तान चले जाने की सलाह देते हैं या फिर उसे देशद्रोही घोषित कर देते हैं। यह पटकथा पूरे देश में पढ़ी जा रही है जो समाज और देश के लिए चिंता का सबब है।

(लेखक वरिष्‍ठ पत्रकार हैं, लेख उनके निजी विचार हैं) 

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