- आस्ट्रेलिया में बेरोजगारी दर 5.2% से बढ़कर हुई 6.2%
- दुनिया के बाकी देशों में बेहतर स्थिति में है आस्ट्रेलिया
- 60 लाख ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों को सरकार से मिल रही है पे सब्सिडी
अर्चना राय
कोरोना महामारी कब खत्म होगी किसी को नहीं मालूम, पर यह तो तय है कि जब कोविड 19 जब इस दुनिया से जायेगा तो हमें बहुत सारे अनुभव देकर जायेगा। यह अनुभव हमें भविष्य में आने वाली कई दुश्वारियों से लड़ने में काम आयेगी। इस महामारी ने पूरी दुनिया को एक बड़ी सीख दी है कि स्वास्थ्य ही सब कुछ है। दुनिया के सभी देशों को कोविड 19 ने सीख दिया है कि किसी भी देश के लिए परमाणु बम से ज्यादा अस्पताल और स्वास्थ्य सुविधाएं जरूरी हैं।
दुनिया के ज्यादातर देश कोविड 19 की चपेट में है। गरीब-अमीर सभी देश कोरोना से जंग लड़ रहे हैं। आस्ट्रेलिया भी कोरोना वायरस से जंग लड़ रहा है। कोरोना महामारी की वजह से इस देश को भी बहुत नुकसान हुआ है, लेकिन दूसरे देशों की तुलना में देखे तो काफी कम हैं। यदि आस्ट्रेलिया बेहतर स्थिति में है तो इसके लिए सरकार के साथ-साथ यहां के आम नागरिकों के सहयोग की वजह से ही ऐसा हो पाया है।
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आस्ट्रेलिया में लॉकडाउन है भी और नहीं भी। हम जिदंगी ऐसे ही गुजार रहे हैं, जैसे लॉकडाउन के पहले गुजारते थे। स्कूल, शॉपिंग मॉल, हॉस्पिटल आदि सब खुले हुए हैं। बंद है तो सिर्फ सारे पब्स, क्लब्स, जिम और स्वीमिंग पूल।
यहां 23 मार्च से लॉकडाउन है। इस लॉकडाउन में हमें सुविधाएं वैसी ही मिल रही थी जैसे पहले मिलती थी। हम घर के बाहर जाने के लिए आजाद हैं, लेकिन हम जरूरत पड़ने पर ही जाते हैं।
इस लॉकडाउन में भी बच्चों के स्कूल खुले हुए हैं। सिर्फ 15 दिन के लिए स्कूल बंद किए गए थे, वह भी हमारे ऊपर छोड़ दिया गया था कि भेजना चाहे तो भेज सकते हैं।
दरअसल आस्ट्रेलिया सरकार का अपने नागरिकों पर भरोसा है। और सबसे बड़ी बात नागरिक सरकार के भरोसे पर खरे उतर रहे हैं। लॉकडाउन में पर्थ में पहले एक साथ दो लोग बाहर निकल सकते थे।
चूंकि यहां अब एक्टिव मामले सिर्फ 8 है तो अब दस लोग एक साथ गैदरिंग कर सकते हैं। सरकार से छूट मिलने के बाद भी गैदरिंग देखने को नहीं मिल रही है। लोग बहुत एहतियात बरतते हुए सिर्फ काम के लिए बाहर निकल रहे हैं। सोशल डिस्टेंसिंग का लोग कड़ाई से पालन कर रहे हैं।
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ढ़ाई करोड़ की आबादी वाले ऑस्ट्रेलिया में अब तक कोरोना वायरस के संक्रमण से 98 लोगों की मौत हो चुकी है। करीब सात हजार लोग इसकी चपेट में हैं। कई शहरों में कोरोना वायरस के मामले न के बराबर है। यह सब सरकार की कोशिशों का ही नतीजा है।
जिन शहरों में कोरोना के एक्टिव मामले ज्यादा है वहां भी घर के बाहर निकलने पर कोई पाबंदी नहीं है। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए आप घूम टहल भी सकते हैं। इसलिए मैंने कहा कि आस्ट्रेलिया में लॉकडाउन है भी और नहीं भी।
मार्च महीने के अंतिम सप्ताह में जब यहां लॉकडाउन की घोषणा हुई थी तब ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमत्री स्कॉट मॉरिसन ने कहा था यह समय हमारे लिए बेहद कठिन होने वाला है।
उन्होंने देशवासियों को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगले छह माह के लिए लॉकडाउन के लिए तैयार रहना होगा। यह सुनकर एक बार को हम लोग डर गए थे, पर जिस तरह लॉकडाउन में सब कुछ ठीक चलता रहा उससे अब न तो लॉकडाउन का डर है और न ही कोरोना वायरस का। हम डरें है देश की गिरती अर्थव्यवस्था से, लोगों की जाती नौकरियों से।
ऐसा नहीं है कि आस्ट्रेलिया को कोरोना महामारी से नुकसान नहीं हुआ है। दूसरे देशों की तरह यहां भी लोगों की नौकरियां गई हैं। लोगों के सामने आजीविका का संकट पैदा हो रहा है। दरअसल यहां परेशानी में वह लोग ज्यादा है जो दूसरे देशों के हैं और यहां पढ़ाई या कामकाज के लिए आए हैं। जिनके पास सिटिजनशिप और पीआर है उन्हें अब तक खास परेशानी नहीं हुई हैं।
कोरोना महामारी की वजह से ऑस्ट्रेलिया में बेरोजगारी दर अप्रैल महीने में 5.2फीसदी से बढ़कर 6.2 फीसदी हो गई है। हालांकि अर्थशास्त्रियों ने 8.3 प्रतिशत का अनुमान लगाया था जिससे ये कम है। रोजगार के स्तर पर दुनिया भर के देश जिस तरह से प्रभावित हुए हैं उस मामले में ऑस्ट्रेलिया की यह बेहतर स्थिति है।
अभी तो बेहतर स्थिति है लेकिन आने वाले समय में बेरोजगारी दर बढ़ेगी। सरकार का अनुमान है कि बेरोजगारी दर जून तक 10 फीसदी जाएगी और इसी अवधि में जीडीपी में भी 10 की गिरावट आएगी।
आस्ट्रेलिया की मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक विश्लेषकों का कहना है कि इस संख्या से अर्थव्यवस्था के असली नुकसान का पता नहीं चलता है क्योंकि सरकार के कल्याणकारी प्रोग्राम की वजह से हालात नियंत्रण से बाहर नहीं हुए हैं।
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आस्ट्रेलिया सरकार अपने 60 लाख नागरिकों को पे सब्सिडी दे रही है। यहां के 10 लाख ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों ने बेरोजगारी भत्ता के लिए आवेदन किया है। यदि दोनों को मिला दें तो यह 40 फीसदी वर्कफोर्स है।
यह सच है कि आस्ट्रेलिया सरकार भी कोरोना महामारी से डरी हुई है। चूंकि दुनिया के ज्यादातर देश इससे प्रभावित है इसलिए हर देश को अपनी लड़ाई खुद ही लडऩी पड़ रही है। आस्ट्रेलिया के पीएम स्कॉट मॉरिसन भी इस बात को अच्छे से समझ रहे हैं, तभी तो वह आए दिन अपने देशवासियों को हालात को गंभीरता से लेने की गुजारिश करते है।
बीते दिनों पीएम स्कॉट मॉरिसन ने कहा कि बहुत मुश्किल भरे दिन हैं। यह हैरान करने वाला है लेकिन अप्रत्याशित नहीं है। आने वाले महीनों में हालात खराब ही रहेंगे लेकिन लॉकडाउन में ढील देने से चीजें बेहतर होने की उम्मीद है।
जाहिर है जब इकोनॉमी होगी तभी हम लड़ाई लड़ पायेेंगे। सिर्फ सोशल डिस्टेसिंग से कोरोना को नहीं हराया जा सकता। कोरोना को हराने के लिए पैसों की भी जरूरत है, बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की जरूरत है और साथ में मानसिक रूप से स्वस्थ रहने की जरूरत है।
(अर्चन राय, पिछले आठ साल से आस्ट्रेलिया के पर्थ में रह रही है. वह एजुकेटर हैं.)