संजय सनातन
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार के पंचायती राज विभाग का गजब हाल है। सूबे के ग्रामीण विकास में सबसे अहम भूमिका निभाने वाले पंचायती राज विभाग की बहुत अहम भूमिका होती है। ऐसे में पूरे प्रदेश की जनता की निगाहें इस विभाग पर टिकी रहती हैं।
लेकिन पंचायती राज विभाग है कि उसे जनता की परवाह ही नहीं है, तभी तो 6 माह पूर्व में डीपीसी के बाद प्रोन्नति पाये जिला पंचायत के 21 अपर मुख्य अधिकारियों में 9 अधिकारियों की तैनाती के लिए हीलाहवाली की जा रही है।
बहरहाल जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी मन बनाये बैठे हैं। उन्हें सरकार पर भरोसा है। अब देखना यह है कि पंचायती विभाग की नींद कब टूटती है और इन अधिकारियों को स्वतंत्ररूप से जिलों में तैनाती दी जाती है।
इन 9 जिलों के अपर मुख्य अधिकारियों को नहीं दी गयी तैनाती
उत्तर प्रदेश सरकार के पंचायती राज विभाग में 9 अपर मुख्य अधिकारियों की तैनाती नहीं की जा रही है। इसमें बुलंदशहर, मेरठ, संभल, बलरामपुर, गोंडा, उन्नाव, एटा, देवरिया और सहारनपुर जिला शामिल है।
इन अपर मुख्य अधिकारियों को प्रोन्नति के लेटर तो दे दिया गया है। पर उसमें पृथक तैनाती की बात की गयी है। इसका मतलब है कि शासन तैनाती का आदेश जब तक नहीं देता है तब तक उन्हें उसी स्थान पर कार्य अधिकारी के ही रूप में कार्य करते रहने होगा।
अधिकारी बनने के बाद भी प्रभारी एएमए के अंडर में कर रहे काम
उत्तर प्रदेश शासन में काफी दिनों से डीपीसी अधर में लटकी हुई थी। ऐसे में इन अधिकारियों को जिलों में प्रभारी अपर मुख्य अधिकारियों के नीचे कार्य अधिकारी के पद पर तैनात किया गया था। बहरहाल जैसे ही उत्तर प्रदेश शासन से डीपीसी फाइनल हुई।
इन अधिकारियों को प्रोन्नति का कागज मिल गया। इन अधिकारियों को विश्वास था कि उन्हें उसी जिले में अपर मुख्य अधिकारी के रूप में कार्य करने का अवसर दिया जायेगा, पर ऐसा नहीं हुआ। इसी के साथ अधिकारी ये इंतजार कर रहे हैं कि कब उन्हें कार्य करने का अवसर दिया जाता है।
विभाग की स्थिति ख़राब
उत्तर प्रदेश सरकार के पंचायती राज विभाग की बहुत ही अजीबोगरीब हालात है। अधिकाधिक मामलों से अवगत होने के बाद भी उच्चाधिकारी अपने विभाग की स्थिति सुधारने के लिए कारगर उपाय नहीं कर रहे हैं। यदि अधिकारियों की तैनाती ही नहीं दी जायेगी तो जिलों के विकास का खाका कैसे तैयार किया जायेगा।
गौरतलब हो कि किसी भी जिले के विकास के लिए जिला पंचायत का अहम रोल होता है। सभी विभागों से अधिक बजट जिला पंचायत के पास होता है। इसकी पूरी जिम्मेदारी जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी की होती है।