न्यूज डेस्क
13 फरवरी को गृहमंत्री अमित शाह ने एक चैनल के कार्यक्रम में शाहीन बाग में हो रहे विरोध-प्रदर्शन में जुड़े सवाल पर कहा कि सरकार हर किसी से बातचीत करने को तैयार है। नागरिकता संसोधन कानून को लेकर जिसके मन में किसी तरह का सवाल हो वह आकर सरकार से बात करे।
कल प्रेम दिवस के मौके पर शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को शाहीन बाग आने का निमंत्रण दिया। धरना स्थल पर इससे जुड़े पोस्टर और कार्ड भी लगाए गए थे। मोदी को देने के लिए तोहफा भी खरीदा गया था। फिलहाल इन लोगों को निराशा लगी। सरकार की तरफ से इनसे मिलने कोई नहीं आया।
दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संसोधन कानून के विरोध में 15 दिसंबर को आंदोलन चल रहा है। दो माह का वक्त बीत जाने के बाद भी अब तक सरकार का कोई नुमाइंदा इनसे मिलने नहीं आया है।
दो माह से सड़क पर बैठी आम महिलाएं सरकार से नागरिकता संसोधन कानून को वापस लेने की मांग कर रही है।
गृहमंत्री अमित शाह से पहले केन्द्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने एक फरवरी को कहा था कि सरकार शाहीन बाग में प्रदर्शन कर रहे लोगों से नागरिकता संशोधन कानून पर बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन यह बातचीत व्यवस्थित तरीके से होनी चाहिए।
केंद्रीय गृहमंत्री और कानून मंत्री की ओर से बातचीत की पहल किए जाने के बाद क्या अब सरकार इस धरने को खत्म कराने के लिए कोई रास्ता निकालेगी?
इस सवाल के जवाब में वरिष्ठ पत्रकार सुशील वर्मा कहते हैं कि सरकार सीएए को लेकर बार-बार कह रही है कि इससे किसी का डरने की जरूरत नहीं है। सरकार को जितनी सफाई देनी थी दे चुकी है। इसीलिए वह आंदोलन को खत्म कराने में रूचि नहीं ले रही है। चूंकि शाहीन बाग के प्रदर्शन की वजह से दिल्ली के लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए इस धरने को खत्म कराना जरूरी हो गया है।
वह कहते हैं कि गृहमंत्री अमित शाह एक दिन पहले ही इस मुद्दे पर कह चुके हैं कि जिसको भी परेशानी हो वह आकर उनसे बात करें। अब शाहीन बाग के लोगों को पहल करनी होगी।
शाहीन बाग के आंदोलन को लेकर खूब राजनीति हुई। दिल्ली में चुनाव होना था इसलिए इस धरने को खत्म कराने की कोई कोशिश नहीं की गई। चुनाव में बीजेपी ने शाहीन बाग को मुद्दा बनाया और इसी के सहारे दिल्ली चुनाव लड़ी। हालांकि बीजेपी चुनाव में कुछ खास नहीं कर पाई। अब चूंकि चुनाव खत्म हो गया है तो केंद्र इस विरोध प्रदर्शन को खत्म करवा सकती हैं?
इस सवाल पर वरिष्ठ पत्रकार उत्कर्ष सिन्हा कहते हैं कि सरकार जब चाहे इस आंदोलन को खत्म करवा सकती है। सरकार ने पहले कोई कदम नहीं उठाया तो इसकी वजह सभी को पता है। चुनाव में शाहीन बाग के सहारे ही बीजेपी ने हिंदू-मुसलमान, राष्ट्रवाद , भारत-पाकिस्तान जैसे मुद्दों को क्रिएट किया। दिल्ली चुनाव के दौरान बीजेपी ने कहा भी था कि वह 8 तारीख के बाद शाहीन बाग खाली करा देगी।
वह कहते हैं कि चूंकि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है तो मुझे नहीं लगता कि केंद्र सरकार अभी कोई फैसला लेगी। सुप्रीम कोर्ट में इसको लेकर सुनवाई होनी है और अगर केंद्र सरकार कोई फ़ैसला लेती है तो सरकार से जवाब मांगा जा सकता है कि जब मामला कोर्ट में था तो उसने कोई एक्शन क्यों ले लिया। इसलिए सरकार कोर्ट के फैसले तक इंतजार करेगी।
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17 फरवरी को होगी अगली सुनवाई
10 फरवरी को एक याचिका की सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ शाहीन बाग में चल रहे विरोध प्रदर्शन को हटाने के लिए कोई अंतरिम आदेश देने से इनकार कर दिया था।
बीजेपी नेता और पूर्व विधायक डॉक्टर नंद किशोर गर्ग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की गई थी कि अदालत केंद्र सरकार और दूसरी संस्थानों को आदेश दे कि शाहीन बाग का प्रदर्शन खत्म कराया जाए।
याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विरोध से दूसरों को परेशानी नहीं होनी चाहिए। कोर्ट ने ये भी कहा कि अनिश्चित काल के लिए प्रदर्शन नहीं होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया और 17 फरवरी को अगली सुनवाई का आदेश दिया था। शाहीन बाग के प्रदर्शन को लेकर कोर्ट में एक अन्य याचिका भी दायर की गई है जो विरोध प्रदर्शन में छोटे-छोटे बच्चों को लाने के विरोध में दी गई है।
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