जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. अमेरिका के रहने वाले इलियेट मेलिन के ममेरे भाई स्कॉट क्लाइन की किडनी खराब हो गई थी. उसकी जान बचाने के लिए उसे किसी किडनी डोनर की ज़रूरत थी. स्कॉट के घर वालों ने किडनी डोनर की तलाश में रात-दिन एक कर दिया था मगर कहीं भी कोई डोनर नहीं मिल रहा था.
इलियेट के सामने दिक्कत यह थी कि बिस्तर पर पड़ा शख्स उसका ममेरा भाई था और उसकी सेहत के लिए आंसू बहाने वाली दो महिलाओं में एक उसकी माँ और दूसरी मामी थीं. इसानियत के नाते इलियेट मेलिन ने अपनी किडनी दान करने का फैसला किया.
इलियेट के इस फैसले के बाद उसकी मामी ने उससे कहा कि वह किसी दबाव में नहीं है, वह अपने फैसले पर फिर से सोच ले मगर उसने कहा कि वह बगैर किसी दबाव के स्कॉट की जान बचाने के लिए अपनी किडनी दान करने जा रहा है.
इलियेट की किडनी स्कॉट को प्रत्यारोपित कर दी गई. एक ही अस्पताल में दोनों भर्ती थे. अभी इलियेट की अस्पताल से छुट्टी भी नहीं हुई थी कि अस्पताल से मिले भारी-भरकम बिल से उसे बड़ा झटका लगा. अस्पताल ने उसे 13, 064 डालर का बिल भरने को कहा. इस बिल में उसके आपरेशन के खर्च के साथ ही स्कॉट का रिकवरी चार्ज भी जोड़ा गया था.
इलियेट ने अस्पताल से कहा कि वह तो किडनी डोनर है. डोनर से कहीं भी कोई बिल नहीं लिया जाता है. इसके बाद उसे कानूनी कार्रवाई की धमकियां दी गईं. मामला टेक्सास के बेयरल स्कॉट एंड व्हाइट आल सेंट्स मेडिकल सेंटर इन फोर्ट वर्थ का है.
इस मामले को लेकर हंगामा बढ़ा तो अस्पताल ने अपनी गलती मानते हुए बिल वापस ले लिया. दरअसल अंगदान के मामलों में डोनर से अस्पताल किसी भी तरह का कोई चार्ज नहीं करता है. डोनर पर आने वाले खर्च को जिस व्यक्ति को अंग लगाया जाता है उसकी इंश्योरेंस कंपनी वहन करती है.
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