जुबिली न्यूज डेस्क
दिल्ली में जिस सरकारी बंगले में लोजपा के नेता चिराग पासवान रहते हैं उसे खाली करने के लिए कहा गया तो उन्होंने वहां पर अपने दिवंगत पिता राम विलास पासवान की मूर्ति लगवा दी।
चिराग पासवान जिस बंगले में रहते हैं वह दिल्ली में सोनिया गांधी के पड़ोस में है। 12, जनपथ में उन्होंने करीब तीन दशक अपने परिवार के साथ बिताए थे। फिलहाल अब वह बंगला केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को अलॉट हुआ है।
बंगले में स्व. पासवान की जो प्रतिमा लगाई है, उसमें छाती तक का हिस्सा दर्शाया गया है। मूर्ति में नीले रंग के प्रिंस सूट में भरी दाढ़ी के साथ उनके चेहरे पर मुस्कान भी दिखाई गई है।
इस मूर्ति को 12 जनपथ में कुछ रोज पहले ही लगाया गया है, जहां अब बेटे चिराग रहते हैं। रोचक बात है कि चिराग को 23, नॉर्थ अवेन्यू (बिहार के जमुई से लोकसभा सांसद के नाते सरकार बंगला मिला है) आवंटित होने के बाद भी वहीं रहते हैं, जहां पिता रहते थे।
अक्टूबर 2020 में राम बिलास पासवान की मृत्यु के बाद शहरी विकास मंत्रालय के संपदा निदेशालय ने पासवान परिवार को बंगला खाली करने से जुड़े नोटिस भेजे थे। साथ ही यह बंगला केंद्रीय रेल और आईटी मंत्री को आवंटित कर दिया था।
पासवान के निधन के बाद एक साल के भीतर उनके परिवार को सरकारी आवास खाली कर देना चाहिए, पर उन लोगों ने खाली नहीं किया। अगले महीने यह समय सीमा पूरी होने वाली है।
वैसे, चिराग पासवान से जुड़े करीबी सूत्रों का कहना है कि पासवान परिवार ने वहां रहने के लिए कुछ समय की मोहलत ले ली है।
फिलहाल 12 जनपथ में चिराग पासवान द्वारा पिता की प्रतिमा लगवाने के कई गहरे सियासी मायने हैं। कहा जा रहा है कि बीजेपी नेतृत्व को डर है कि चिराग बाहर जाने से इन्कार करके “इस मुद्दे का राजनीतिकरण” कर सकते हैं।
दरअसल दलित समुदाय के बीच दिवंगत पासवान के काफी प्रभाव को देखते हुए बीजेपी जानती है कि ऐसे महत्वपूर्ण मोड़ पर उनके परिवार का विरोध करना मुश्किल हो सकता है।
वैसे भी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कुछ महीने बचे हैं और बीजेपी को गैर-जाटव दलित वोटों को पूर्वी यूपी में मजबूत करने की उम्मीद है। पार्टी मध्य और पूर्वी यूपी के कई निर्वाचन क्षेत्रों में पासवान समुदाय के वोटों पर निर्भर है।
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लोजपा से जुड़े एक सूत्र के अनुसार, “पासवान परिवार इस मसले पर भाजपा से लडऩे के मूड में नहीं है। जल्द ही पार्टी नेताओं की एक बैठक हो सकती है, जिसमें हम स्थानांतरण के समय पर निर्णय लेंगे। सूत्र ने आगे बताया कि भाजपा शीर्ष नेतृत्व परिवार के संपर्क में था।
दरअसल, बीजेपी में एक वर्ग को यह भी डर है कि चिराग पासवान (जिन्होंने हाल ही में अपनी पार्टी में परिवार के नेतृत्व वाली अंदरूनी कलह के बाद अपने लिए समर्थन जुटाने के लिए यात्रा निकाली थी) अपने “राजनीतिक लाभ” के लिए लोगों से सहानुभूति पाने की उम्मीद में 12 जनपथ से बाहर निकलना में दिक्कत पैदा कर सकते हैं।
भाजपा को यह चिंता भी सता रही है कि अगर आगे बढऩा मुश्किल हो जाता है, तो बिहार में अन्य सियासी दल इस मुद्दे में शामिल हो सकते हैं।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) नेता जीतन राम मांझी पहले ही मांग कर चुके हैं कि 12 जनपथ को दिवंगत दलित नेता का स्मारक बनाया जाए।
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वैसे, पासवानों ने हमेशा बीजेपी के साथ अच्छे रिश्ते रखे हैं। यहां तक कि जब लोजपा बिहार में जद(यू) के नेतृत्व वाले गठबंधन से बाहर हो गई थी तब चिराग पासवान ने सीएम नीतीश कुमार पर प्रहार करने के हर मौके का इस्तेमाल किया था।
इस दौरान जमुई के सांसद भाजपा के प्रति सौहार्दपूर्ण थे। इस साल की शुरुआत में रामविलास को मरणोपरांत पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।