जुबिली न्यूज डेस्क
दुनिया में आर्थिक मंदी की आशंका के बीच कई दिग्गज टेक कंपनी कर्मचारियों की छंटनी कर रही है. पिछले साल ट्विटर से शुरू हुआ यह सिलसिला अब तक जारी है. इस दौरान मेटा, माइक्रोसॉफ्ट और अब Google ने हजारों कर्मचारियों को नौकरी से निकालने का ऐलान कर दिया है.
अगर भारतीय कंपनियों की बात करें तो ओला, कैश फ्री और स्विगी ने भी कुछ कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है. हालांकि, छंटनी में प्रभावित एम्पलाइज को नियमानुसार, सैलरी के अतिरिक्त भुगतान किया गया है.
देश-दुनिया की सभी कंपनियों ने कहा कि खर्चों और लागत को कम करने के लिए छंटनी का फैसला लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है, क्योंकि मंदी की आशंका के चलते उनका बिजनेस प्रभावित हो सकता है. ऐसे में हर कर्मचारी के लिए यह जानना जरूरी है कि अगर वे छंटनी से प्रभावित होते हैं तो उन्हें राहत और मुआवजे के तौर पर क्या मिलेगा?
छंटनी में गई नौकरी तो क्या मिलेगा?
भारत में कंपनियों में छंटनी के दौरान प्रभावित कर्मचारी को सामान्यतः 2 महीने की सैलरी दी जाती है. हालांकि, इसे लेकर हर कंपनी के अलग-अलग नियम हो सकते हैं. इंडस्ट्रियल एंड डिस्प्यूट एक्ट 1947 की धारा 25C के अनुसार, कर्मचारी कुल मूल वेतन के 50% के बराबर मुआवजे, महंगाई भत्ते का हकदार होता है.
कर्मचारी के पास क्या कानूनी अधिकार
लेबर कानून के जानकारों का कहना है कि हर नौकरी की शर्तें एक रोजगार समझौते के नियमों से जुड़ी होती है. अगर किसी कर्मचारी को गलत तरीके से बर्खास्त किया गया है तो वह कंपनी पर समझौते की शर्तों के उल्लंघन के लिए मुकदमा कर सकता है. इसी तरह, वे कर्मचारी जिन्हें जॉब कॉन्ट्रैक्ट के नियमों के तहत छंटनी के बाद सही मुआवजा नहीं मिलता है तो ऐसे कर्मचारी भी अपने हक के लिए केस दायर कर सकते हैं.
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बता दे कि कुछ कंपनियां प्रभावित एम्पलाइ को नई नौकरी नहीं मिलने तक मेडिकल इंश्योरेंस समेत ये सुविधा जारी रखती है. गूगल समेत कई टेक कंपनियों ने छंटनी के दौरान प्रभावित कर्मचारियों को सर्वेंस पैकेज देने का ऐलान किया है.
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