Saturday - 26 October 2024 - 2:53 PM

तो क्या होगा पटाखा उद्योग का हाल

जुबिली न्यूज़ डेस्क

नयी दिल्ली। आर्थिक नुकसान झेल रहे देश के लोगों को दिवाली का इंतज़ार है कि रौशनी के इस खास पर्व में उनके घर दोबारा खुशियां लौटेंगी। लेकिन वो कहावत तो आपने सुनी होगी कही खुशी कही गम। कुछ ऐसा ही माहौल इन दिनों तैयार किया जा रहा है।

दिवाली का पर्व हो और पटाखों का शोर न हो तो दिवाली का पर्व फीका लगता है। इसलिए पटाखा कारोबार से जुड़े लोग इस दिन का साल भर बेताबी से इंतज़ार करते है और बारूद के ढेर पर सवार होकर इसलिए पटाखा तैयार करते है ताकि उनके घर के साथ आपके घर भी खुशियों का आगमन हो।

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लेकिन निराशा तब बढ़ जाती है जब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पटाखों से होने वाले प्रदूषण को गंभीरता से लेते हुए 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी किया है। विभिन्न समूहों की ओर से दायर याचिकाओं में 30 नवंबर तक पटाखों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है। एनजीटी ने इससे जुड़े मामलों की सुनवाई का दायरा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) से बढ़ा दिया।

एनजीटी चेयरमैन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले में पहले ही दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सरकारों की नोटिस भेज चुकी है। जबकि राजस्थान और ओडिशा सरकारें अपने राज्यों में पटाखों की खरीद बिक्री पर पाबंदी लगाने के लिए अधिसूचना जारी कर चुकी हैं।

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एनजीटी ने पटाखों से प्रदूषण को लेकर आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम, बिहार, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मेघालय, नगालैंड, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तराखंड से जवाब मांगा है।

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पीठ ने कहा कि सभी संबंधित राज्य, जहां वायु गुणवत्ता संतोषजनक नहीं है, वे ओडिशा और राजस्थान की तरह पटाखों की खरीद और बिक्री पर कदम उठाने पर विचार कर सकते हैं। विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने 2 नवंबर को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय और चार राज्यों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। याचिकाओं में 7 से 30 नवंबर तक पटाखों पर प्रतिबंध लगाने की मांग गई है।

देश में पटाखा उद्योग का हाल काफी बेहाल नज़र आ रहा क्योंकि काशीपुर से आने वाले पटाखों की खरीद में काफी गिरावट आयी है। भारतीय पटाखा एसोसिएशन के प्रेसिडेंट सुमित सिंघल की माने तो उनका कहना है कि सरकार की सख्ती के बाद गिरावट आना तय है, लेकिन इस काम में साल भर जुटे हुए लोगों की रोजी- रोटी को ध्यान में रखते हुए बड़े पटाखों पर कम ही फोकस किया गया है।

उनके मुताबिक विभिन्न राज्यों की सरकारों द्वारा की गई घोषणाओं से पटाखों की बिक्री और उपयोग पर रोक लगा दी गई है जो दीपावली के मौसम और कार्तिक पूर्णिमा के झटके और विरुधुनगर में सैकड़ों परिवारों को परेशान करती है।

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लोग पहले से ही महामारी और संबद्ध लॉकडाउन के कारण गरीबी से झुंझ रहे हैं, अगर पटाखे की बिक्री इस निशान तक नहीं है, तो इन परिवारों को गरीबी से छुटकारा मिल जाएगा। राजस्थान, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और हरियाणा ने अब तक पटाखों पर प्रतिबंध की घोषणा की है।

पटाखा व्यापारी संघ के इलांगोवन कहते हैं कि पटाखा उद्योग एक नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र है। इसके किसी एक हिस्से को होने वाले नुकसान से देश भर में बड़ी संख्या में परिवारों पर दुर्बल प्रभाव पड़ सकता है।

प्रतिबंध से सबसे ज्यादा नुकसान शिवकाशी को हुआ है, उत्पादों को पहले ही विभिन्न राज्यों में भेज दिया गया है और व्यापारियों से उनके भुगतान का इंतजार किया जा रहा है। उत्तर भारतीय थोक खरीदार, डीलर, और स्थानीय दुकानदार भी इस साल कड़ी मेहनत करने की सूची में हैं।

इलांगोवन कहते हैं, शिवकाशी में व्यापार एक क्रेडिट-आधारित प्रणाली पर किया जाता है। हम त्योहार के बाद भुगतान प्राप्त करते हैं, जिसका उपयोग श्रमिकों, ऋणों के लिए बोनस का भुगतान करने और आने वाले वर्ष के लिए व्यापार में निवेश करने के लिए किया जाता है।

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पटाखा निर्माता संघ के गणेशन पंजुरजन ने कहा कि कारखाने ने इस साल हरी आतिशबाजी बनाने के लिए हर नियम का पालन किया है। वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद – राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (CSIR-NEERI) और पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन (PESO) द्वारा अनुमोदित फार्मूले का पालन करने वाले हरे पटाखे निर्मित किए गए थे।

उन्होंने कहा अगर अधिक राज्य सूट का पालन करते हैं, तो यह दीपावली हमारे लिए एक अंधेरा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि प्राथमिक प्रदूषक सल्फर डाइऑक्साइड को विनिर्माण के दौरान सल्फर के मिश्रण के कारण उत्सर्जित किया जाता है, ग्रीन उत्पादकों में नहीं जोड़ा जाता है। चीनी पटाखों के विपरीत ‘पर्यावरण के अनुकूल’ शिवकाशी में निर्मित किया गया था, जो प्रदूषण के असली दोषी हैं।

यूपी में ऑनलाइन बिक्री पर लगेगी रोक

उत्तर प्रदेश में विदेशी पटाखों की ऑनलाइन बिक्री पर रोक लगाई जाएगी। इसके लिए शासन स्तर पर जल्द गाइडलाइन जारी कर सकती है। गृह विभाग के सचिव तरुण गाबा को गाइडलाइन तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है। एनजीटी व न्यायालयों द्वारा बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए दिए गए आदेशों व सुझावों के आधार पर गाइडलाइन तैयार की जा रही है।

उधर यूपी के कुशीनगर में बुधवार को हुए अवैध पटाखा फैक्ट्री में धमाके से चार लोगों की मौत के बाद डीजीपी मुख्यालय ने पटाखों के निर्माण व भंडारण को लेकर फील्ड के अफसरों को निर्देश जारी किए हैं।

इसमें डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी ने पटाखों की दुकानों को अस्थायी लाइसेंस देने, भंडारण की व्यवस्था रिहायशी इलाके से बाहर करने व अवैध निर्माण पर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

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