डॉ. उत्कर्ष सिन्हा
देश की सबसे पुरानी पॉलिटिकल पार्टी कांग्रेस में घमासान मचा हुआ है। पार्टी की केन्द्रीय कार्यसमिति के बैठक के एक दिन पहले मीडिया में छपे एक पत्र ने पार्टी के अंदरखाने की हलचल को सतह पर ला दिया है।
हालांकि ये बात छुपी नहीं रह गई थी कि कांग्रेस साफ साफ दो घड़ों में बंटी दिखाई दे रही है और गांधी परिवार ने भी पार्टी के ओल्ड गार्ड्स के कुछ चेहरों को पहचान लिया है, बावजूद इसके इस चिट्ठी ने हंगामा तो खड़ा कर ही दिया।
दरअसल, सीडब्ल्यूसी की बैठक से एक दिन पहले रविवार को पार्टी में उस वक्त नया सियासी तूफान आ गया, जब पूर्णकालिक एवं जमीनी स्तर पर सक्रिय अध्यक्ष बनाने और संगठन में ऊपर से लेकर नीचे तक बदलाव की मांग को लेकर सोनिया गांधी को 23 वरिष्ठ नेताओं की ओर से पत्र लिखे जाने की जानकारी सामने आई।
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, शशि थरूर, पृथ्वीराज चौहान, आनंद शर्मा और कपिल सिब्बल समेत 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में सामूहिक नेतृत्व की जरूरत पर जोर देते हुए कहा था कि कांग्रेस को पूर्णकालिक अध्यक्ष मिलना चाहिए, जो जमीन पर सक्रिय हो और कांग्रेस मुख्यालय एवं प्रदेश कांग्रेस कमेटियों के मुख्यालय में भी उपलब्ध हो।
बात यहीं नहीं रुकी, रविवार की शाम मीडिया में एक सूचना और लीक हो गई कि सोनिया गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है, पार्टी प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने थोड़ी ही देर में इसका खंडन तो कर दिया मगर सोमवार को जब बैठक शुरू हुई तो सोनिया ने अपने इस्तीफे की पेशकश कर दी।
बताया जा रहा है कि बैठक में जब राहुल गांधी ने पार्टी के कुछ नेताओं पर विपक्षी यानि भाजपा से मिलीभगत का आरोप लगाया तो आहत हो कर कपिल सिब्बल ने भी ट्वीट कर दिया, जिसे बाद में उन्होंने इसे डिलीट भी कर दिया।
लेकिन ये बात तो सतह पर सवाल खड़े कर ही गई कि क्या कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेता भाजपा के इशारों पर काम करने लगे हैं ? कांग्रेस में मचा घमासान बहुत कुछ समेटे हुए है, या ये कहिए कि कांग्रेस के भीतर एक समुद्र मंथन सा चल रहा है, अब इसमें से क्या निकलेगा, यही समझने की कोशिश आज हम करेंगे