Friday - 25 October 2024 - 8:24 PM

कोरोना वैक्सीन की दो डोज के बीच कितना फर्क होना चाहिए? डॉ. फाउची ने दिया जवाब

जुबिली न्यूज डेस्क

दुनिया के अधिकांश देशों में कोरोना महामारी से बचने के लिए टीकाकरण अभियान चल रहा है। जानकारों का कहना है कि कोरोना को हराना है तो जल्द से जल्द लोगों को टीका लगाया जाए।

इसी कड़ी में अमेरिका के शीर्ष स्वास्थ्य विशेषज्ञ और राष्ट्रपति जो बाइडेन के शीर्ष सलाहकार डॉक्टर एंथनी फाउची ने भी वैक्सीन को बड़ी बता कही है।

उन्होंने कहा कि अगर कोविड वैक्सीन की दो डोज के बीच अधिक फर्क रखा गया तो इससे कोरोना के किसी वैरिएंट से संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।

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एनडीटीवी को दिए एक इंटरव्यू में डॉक्टर एंथनी फाउची ने कहा कि, “आदर्श तौर पर फाइजर की एमआरएनए कोरोना वैक्सीन की दो डोज के बीच तीन सप्ताह और मॉडर्ना की एमआरएनए वैक्सीन की दो डोज के बीच में फर्क चार सप्ताह का होना चाहिए।”

डॉ. फाउची ने कहा कि अगर आप वैक्सीन की डोज के बीच के अंतराल को बढ़ाते हैं तो इससे आपके किसी कोरोना वायरस वैरिएंट से संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है। हमने यूके में यही देखा है, वहां वैक्सीन की डोज के बीच के अंतराल को बढ़ाया गया था, वहां नए वैरिएंट का खतरा बढ़ गया। हमारी यही राय है कि आप तय समय पर ही वैक्सीन लगवाएं।”

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हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि “अगर वैक्सीन की सप्लाई कम है तो” वैक्सीन की डोज के बीच के अंतराल को बढ़ाना जरूरी हो सकता है।

मालूम हो कि बीते महीने भारत सरकार ने भारत में कोविशील्ड के नाम से दी जा रही एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफर्ड की वैक्सीन की दो डोज के बीच के अंतराल को बढ़ाकर 12 से 16 सप्ताह कर दिया था।

जबकि इसके पहले कोविशील्ड की दो डोज के बीच छह से आठ हफ्ते का अंतर रहता था। उससे पहले ये अंतराल चार से छह हफ्ते था।

भारत सरकार के इस फैसले की तीखी आलोचना हुई थी। कइयों ने कहा था कि वैक्सीन की भारी कमी के कारण सरकार ने दो डोज के बीच के अंतराल को बढ़ा दिया है। हालांकि इस पर नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर विनोद पॉल ने कहा कि ये फैसला विज्ञान पर आधारित है।

वहीं इससे पहले मार्च में मेडिकल जर्नल द लैंसट में छपे एक रिसर्च में भी इस बात की पुष्टि की गई थी कि दो डोज के बीच 12 हफ्तों का अंतराल हो तो वैक्सीन का असर बढ़ता है।

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डॉक्टर फाउची ने कहा कि कोरोना वायरस ने नए वेरिएंट को हराने के लिए जरूरी है कि लोगों को जल्द से जल्द वैक्सीन लगाया जाए।

उन्होंने भारत में सबसे पहले पाए गए वायरस के डेल्टा वेरिएंट को लेकर चिंता जताई और कहा कि “जिन लोगों को टीका नहीं लगा है अगर उनमें डेल्टा वेरिएंट फैलना शुरू होता है तो ये बड़ी तेजी अपने पैर पसार लेता है।”

Radio_Prabhat
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