जुबिली स्पेशल डेस्क
स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्र के नाम संदेश दिया। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, देश के 77वें स्वतंत्रता दिवस पर आप सभी को मेरी हार्दिक बधाई! यह दिन हम सब के लिए गौरवपूर्ण और पावन है।
चारों ओर उत्सव का वातावरण देखकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है। यह प्रसन्नता और गर्व की बात है कि कस्बों और गांवों में, यानी देश में हर जगह – बच्चे, युवा और बुजुर्ग – सभी उत्साह के साथ स्वतंत्रता दिवस के पर्व को मनाने की तैयारी कर रहे हैं। हमारे देशवासी बड़े उत्साह के साथ ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ मना रहे हैं।
स्वाधीनता दिवस का उत्सव मुझे मेरे बचपन के दिनों की याद भी दिलाता है। अपने गाँव के स्कूल में स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग लेने की हमारी खुशी, रोके नहीं रुकती थी। जब तिरंगा फहराया जाता था तब हमें लगता था जैसे हमारे शरीर में बिजली सी दौड़ गई हो।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, देशभक्ति के गौरव से भरे हुए हृदय के साथ हम सब, राष्ट्रीय ध्वज को सलामी देते थे तथा राष्ट्रगान गाते थे। मिठाइयाँ बाँटी जाती थीं और देशभक्ति के गीत गाए जाते थे, जो कई दिनों तक हमारे मन में गूँजते रहते थे। यह मेरा सौभाग्य रहा कि जब मैं, स्कूल में शिक्षक बनी तो मुझे उन अनुभवों को फिर से जीने का अवसर प्राप्त हुआ।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, जब हम बड़े होते हैं, तो हम अपनी खुशी को बच्चों की तरह व्यक्त नहीं कर पाते, लेकिन मुझे विश्वास है कि राष्ट्रीय पर्वों से जुड़ी देशभक्ति की गहरी भावना में तनिक भी कमी नहीं आती है। स्वतंत्रता दिवस हमें यह याद दिलाता है कि हम केवल एक व्यक्ति ही नहीं हैं, बल्कि हम एक ऐसे महान जन-समुदाय का हिस्सा हैं जो अपनी तरह का सबसे बड़ा और जीवंत समुदाय है। यह विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के नागरिकों का समुदाय है।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, जब हम स्वतंत्रता दिवस समारोह मनाते हैं तो वास्तव में हम एक महान लोकतन्त्र के नागरिक होने का उत्सव भी मनाते हैं। हममें से हर एक की अलग-अलग पहचान है। जाति, पंथ, भाषा और क्षेत्र के अलावा, हमारी अपने परिवार और कार्य-क्षेत्र से जुड़ी पहचान भी होती है।
लेकिन हमारी एक पहचान ऐसी है जो इन सबसे ऊपर है, और हमारी वह पहचान है, भारत का नागरिक होना। हम सभी, समान रूप से, इस महान देश के नागरिक हैं। हम सब को समान अवसर और अधिकार उपलब्ध हैं तथा हमारे कर्तव्य भी समान हैं।
लेकिन ऐसा हमेशा नहीं था। भारत लोकतंत्र की जननी है और प्राचीन काल में भी हमारे यहां जमीनी स्तर पर लोकतांत्रिक संस्थाएं विद्यमान थीं। किन्तु लंबे समय तक चले औपनिवेशिक शासन ने उन लोकतान्त्रिक संस्थाओं को मिटा दिया था। 15 अगस्त, 1947 के दिन देश ने एक नया सवेरा देखा। उस दिन हमने विदेशी शासन से तो आजादी हासिल की ही, हमने अपनी नियति का निर्माण करने की स्वतंत्रता भी प्राप्त की।
हमारी स्वाधीनता के साथ, विदेशी शासकों द्वारा उपनिवेशों को छोड़ने का दौर शुरू हुआ और उपनिवेशवाद समाप्त होने लगा। हमारे द्वारा स्वाधीनता के लक्ष्य को प्राप्त करना तो महत्वपूर्ण था ही, लेकिन उससे भी अधिक उल्लेखनीय है, हमारे स्वाधीनता संग्राम का अनोखा तरीका।
महात्मा गांधी तथा अनेक असाधारण एवं दूरदर्शी विभूतियों के नेतृत्व में, हमारा राष्ट्रीय आंदोलन अद्वितीय आदर्शों से अनुप्राणित था। गांधीजी तथा अन्य महानायकों ने भारत की आत्मा को फिर से जगाया और हमारी महान सभ्यता के मूल्यों का जन-जन में संचार किया।
भारत के ज्वलंत उदाहरण का अनुसरण करते हुए, हमारे स्वाधीनता संग्राम की आधारशिला – ‘सत्य और अहिंसा’ – को पूरी दुनिया के अनेक राजनीतिक संघर्षों में सफलतापूर्वक अपनाया गया है।
स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर, मैं भारत के नागरिकों के साथ एकजुट हो कर सभी ज्ञात और अज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों को कृतज्ञतापूर्वक श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं। उनके असंख्य बलिदानों से, भारत ने विश्व समुदाय में अपना स्वाभिमान-पूर्ण स्थान फिर से प्राप्त किया। मातंगिनी हाजरा और कनकलता बरुआ जैसी वीरांगनाओं ने भारत माता के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिये। माँ कस्तूरबा, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ कदम से कदम मिलाकर सत्याग्रह के मार्ग पर चलती रहीं। सरोजिनी नायडू, अम्मू स्वामीनाथन, रमा देवी, अरुणा आसफ़-अली और सुचेता कृपलानी जैसी अनेक महिला विभूतियों ने अपने बाद की सभी पीढ़ियों की महिलाओं के लिए आत्म-विश्वास के साथ, देश तथा समाज की सेवा करने के प्रेरक आदर्श प्रस्तुत किए हैं। आज महिलाएं विकास और देश सेवा के हर क्षेत्र में बढ़-चढ़कर योगदान दे रही हैं तथा राष्ट्र का गौरव बढ़ा रही हैं। आज हमारी महिलाओं ने ऐसे अनेक क्षेत्रों में अपना विशेष स्थान बना लिया है जिनमें कुछ दशकों पहले उनकी भागीदारी की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।
मुझे यह देखकर प्रसन्नता होती है कि हमारे देश में महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। आर्थिक सशक्तीकरण से परिवार और समाज में महिलाओं की स्थिति मजबूत होती है। मैं सभी देशवासियों से आग्रह करती हूँ कि वे महिला सशक्तीकरण को प्राथमिकता दें। मैं चाहूंगी कि हमारी बहनें और बेटियाँ साहस के साथ, हर तरह की चुनौतियों का सामना करें और जीवन में आगे बढ़ें। महिलाओं का विकास, स्वाधीनता संग्राम के आदर्शों में शामिल है।