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भारत से किस तरह की मदद चाहता है अमेरिका

न्यूज डेस्क

चार अप्रैल को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति की फोन पर कोरोना वायरस को लेकर बातचीत हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर यह बताया कि कोरोना के खिलाफ पूरे दम खम के साथ दोनो देश लड़ेंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने और कोई जानकारी नहीं दी कि अमेरिका किस तरह की मदद चाहता है, लेकिन  राष्ट्रपति ट्रंप ने स्थानीय मीडिया को बताया कि उन्हें भारत से किस तरह की मदद की दरकार है।

दरअसल ट्रंप को भारत से हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन चाहिए। वैसे तो भारत में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन का इस्तेमाल मलेरिया, आर्थेराइटिस(गठिया) और ल्यूपस नाम की बीमारी के उपचार में किया जाता है, लेकिन यह दवा कोरोना संक्रमित मरीजों को ठीक करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।

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मोदी से बातचीत के बाद स्थानीय मीडिया को संबोधित करते हुए ट्रंप ने कहा कि ” मैंने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बात की है। भारत बड़ी मात्रा में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन बनाता है। हालांकि इस दवा पर उन्होंने रोक लगा दी है क्योंकि भारत में इस दवा की बहुत ज़्यादा खपत है। भारत की जनसंख्या भी ज्यादा है, लेकिन हमने इस दवा के लिए उन्हें अपना ऑर्डर भेज दिया है। मोदी ने भरोसा दिया है कि वो हमारे ऑर्डर पर विचार करेंगें।”

अमेरिका इन दिनों कोरोना वायरस के संक्रमण से बुरी तरह जूझ रहा है। सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमित मरीज अमेरिका में हैं। अमेरिका इन मरीजों के इलाज में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन का इस्तेमाल कर रहा है। सोमवार सुबह तक अमरीका में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 3 लाख 37 हजार थी। अब तक वहां तकरीबन 9 हजार 600 लोगों की मौत हो चुकी है।

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दरअसल अमरीका में बड़े पैमाने पर इस दवा का इस्तेमाल कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के उपचार के लिए किया जा रहा है। 21 मार्च को राष्ट्रपति  ट्रंप ने ट्वीट कर दावा किया था कि कोरोना वायरस की दवा का इजाद अमरीका ने कर लिया है।

अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा था, ”हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन और एजिथ्रोमाइसिन का कॉम्बिनेशन मेडिसिन की दुनिया में बड़ा गेम चेंजर साबित हो सकता है। एफडीए ने ये बड़ा काम कर दिखाया है- थैंक्यू। इन दोनों एजेंट को तत्काल प्रभाव से इस्तेमाल में लाना चाहिए। लोगों की जान जा रही है।”

ट्रंप के इस बयान के बाद 21 मार्च को ही अमरीका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने एक रिपोर्ट जारी की जिसमें सीडीसी ने बताया कि कोविड-19 के मरीजों के लिए एफडीए ने कोई दवा अब तक अप्रूव नहीं की है। इस रिपोर्ट में यह भी  कहा गया है कि अमरीका सहित कई देशों में कोविड-19 के मरीजों के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन का इस्तेमाल किया जा रहा है।

एक अध्ययन के मुताबिक हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन के साथ एजथ्रिोमाइसीन का कॉम्बिनेशन कोविड-19 के असर को कम कर सकता है।

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भारत से अमरीका ने जो दवा मांगी है उसके निर्यात पर पहले से ही प्रतिबंध हैं। डायरेक्टर जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड ने 25 मार्च 2020 को इस दवा के निर्यात पर प्रतिबंध लगाते हुए सर्कुलर जारी कर कहा था कि विशेष परिस्थिति (SEZ  और जहां पूरी पेमेंट ली जा चुकी हो) में ही इसके निर्यात की इजाजत मिल सकती है। भारत सरकार के वाणिज्य एवं व्यापार मंत्रालय के अंतर्गत डायरेक्टर जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड आता है।

25 मार्च के इस सर्कुलर में 4 अप्रैल को डायरेक्टर जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड ने दोबारा संशोधन करते हुए नया सर्कुलर जारी करते हुए कहा कि इस दवा के निर्यात पर पूरी तरह से पाबंदी है। किसी भी परिस्थिति में इसे बाहर निर्यात नहीं किया जा सकेगा। अब सवाल उठता है कि क्या भारत अमेरिका की मदद करेंगा?

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इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के मुताबिक, ”हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन का इस्तेमाल सिर्फ हास्पिटल वर्कर करेंगे जो कोविड-19 के मरीजों की देखभाल कर रहे हैं, या फिर अगर किसी के घर में कोई संक्रमित है तो उसकी देखभाल करने वाला ही इस दवा का सेवन करे।”

21 मार्च को ICMR ने एक प्रेस रिलीज जारी करके बताया है कि नेशनल टास्क फोर्स कोविड-19 का गठन किया गया है। इस टास्क फोर्स के मुताबिक हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन दवा वहीं ले सकते हैं जो कोविड-19 के हाई रिस्क में हों। मतलब हास्पिटल में काम करने वाले वो कर्मी जो कोरोना वारयस से संक्रमित मरीज का इलाज कर रहे हों या जिनके घर कोई किसी शख्स को कोरोना पॉजिटिव पाया गया हो तो उससे संपर्क में रहने वाले भी इस दवा का सेवन कर सकते हैं।

साथ में यह भी कहा गया था कि ये दवा मान्यता प्राप्त डॉक्टर की प्रिस्किप्शन पर ही दी जाएगी, लेकिन अगर इस दवा को लेने वाले शख्स को कोरोना के लक्षणों के अलावा कोई और परेशानी होती है तो उसे तुरंत अपने डॉक्टर को संपर्क करना होगा।

भारत में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। सोमवार दोपहर तक संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 4374 पर पहुंच गया था तो वहीं इससे 121 लोगों की मौत हो चुकी है। विशेषज्ञों की माने तो आने वाले दिनों में यह आंकड़ा बढ़ेगा और कई मेडिकल कॉलेज में कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन का इस्तेमाल हो रहा है।

अमेरिका की मदद पर डॉ. सीपी पांडेय कहते हैं कि देश के पास कितनी दवा है और हमें कितनी दवाओं की जरूरत है, इसको ध्यान में रखकर ही सरकार को कोई फैसला करना चाहिए। साथ में हमें यह बात भी ध्यान में रखनी होगी कि भारत में कोरोना संक्रमण का पीक अभी नहीं आया है। मतलब आने वाले दिनों में इस दवा की मांग आगे बढ़ भी सकती है। अगर हमारी आज की खपत, और आने वाले दिनों में खपत की वृद्धि से ज्यादा हम इस दवा को बना सकते हैं, तो हमें जरूर अमरीका की मदद करनी चाहिए, लेकिन ख़ुद को अधर में डाल कर नहीं।

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