जुबिली न्यूज डेस्क
आज ही नहीं हमेशा से सरकार के दावों पर सवाल उठता रहा है। सरकार चाहे किसी की हो, कथनी और करनी में हमेशा ही अंतर रहा है। सरकार जनता के लिए कितनी योजनाएं लाती है और जोर-शोर से इसका प्रचार भी करती है लेकिन जब इसकी पड़ताल की जाती है तो सच्चाई कुछ और ही सामने आती है। चाहे कांग्रेस का शासन रहा हो या अब बीजेपी का, योजनाओं का लाभ कागजों में ही जनता को मिला है।
कोरोना काल में मोदी सरकार ने गरीबों की मदद के लिए कई स्कीम लांच किया, जिसमें पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना भी शामिल है। इस योजना के तहत गांवों को लौटने वाले प्रवासी मजदूरों को मुफ्त राशन की मदद दी जा रही है, लेकिन इस स्कीम की जमीनी हकीकत घोषणाओं से परे है। सरकार ने प्रवासी मजदूरों को वितरित करने के लिए 8 लाख मीट्रिक टन राशन का आवंटन किया था, जिसमें से मई और जून में महज 13 फीसदी राशन ही मजदूरों को मिल पाया है।
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25 मार्च को जब देशव्यापी तालाबंदी हुई थी तो देश के कई राज्यों से प्रवासी मजदूरों के बड़ी संख्या में शहरों से गांवों की ओर पलायन के चलते केंद्र सरकार की जमकर आलोचना हुई थी, जिसके बाद पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना का ऐलान किया गया था।
खाद्य एवं आपूर्ति मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक सरकार ने मई और जून में हर महीने 8 करोड़ ऐसे मजदूरों को 5 किलो मुफ्त राशन देने का ऐलान किया था, जिनके पास राशन कार्ड नहीं है। लेकिन सिर्फ 2.13 करोड़ लाभार्थियों को ही अब तक राशन मिल सका है। इनमें से 1.21 करोड़ लोगों को मई में राशन दिया गया था, जबकि 92.44 लाख मजदूरों को जून में राशन मिला।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 14 मई को स्कीम का ऐलान करते हुए बताया था कि 8 करोड़ प्रवासी मजदूरों के लिए यह योजना लॉन्च की जा रही है। मंत्रालय के डेटा के मुताबिक सभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने आवंटित किए गए 8 लाख मीट्रिक टन राशन में से 6.38 लाख मीट्रिक टन राशन उठा लिया था।
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इस तरह से आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत जारी किए गए राशन का 80 फीसदी हिस्सा राज्यों तक पहुंच गया, लेकिन 30 जून तक लाभार्थियों तक सिर्फ 1.07 लाख मीट्रिक टन राशन ही पहुंचा है। यह हिस्सा कुल आवंटित राशन का महज 13 फीसदी ही है।
आंकड़ों के अनुसार दो महीने का अपना लगभग पूरा कोटा उठा लेने के बाद भी राज्य सरकारें मजदूरों को उनके हिस्से का मुफ्त राशन नहीं दे पाईं।
कम से कम 26 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ऐसे हैं, जिन्होंने अपने कोटे का पूरा राशन उठाया है, लेकिन किसी ने भी पूरे हिस्से को मजदूरों को नहीं दिया। सबसे ज्यादा राशन 1,42,033 मीट्रिक टन उत्तर प्रदेश के लिए जारी किया गया था, जिसमें से सूबे ने 1,40,637 मीट्रिक टन राशन उठा लिया था, लेकिन राज्य में सिर्फ 2.03 पर्सेंट यानी 3,324 मीट्रिक टन राशन ही बंटा। यह राशन 4.39 लाख लाभार्थियों को मई में मिला, जबकि जून के महीने में 2.25 लाख लाभार्थियों को यह राशन मिल पाया।