जुबिली न्यूज डेस्क
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 जून को अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ एक द्विपक्षीय मुलाकात करेंगे। वाइट हाउस में उनके रेड कारपेट वेलकम से पहले अमेरिका की तरफ से आई ‘अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता वार्षिक रिपोर्ट 2022’ की वजह से भारत में विवाद पैदा हो गया है।
अमेरिका के विदेश विभाग की तरफ से धार्मिक स्वतंत्रता पर आई यह रिपोर्ट दुनिया भर के देशों में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति बयां करती है। ब्लिंकन ने तो इस पर कुछ नहीं कहा लेकिन रिलीजियस फ्रीडम ऑफिस के विशेष राजदूत रशद हुसैन की मानें तो कई सरकारों ने अपनी सीमाओं के भीतर धार्मिक समुदाय के सदस्यों को खुले तौर पर निशाना बनाना जारी रखा है।
बीजेपी नेताओं की हेटस्पीच का जिक्र
रिपोर्ट में भारत को धार्मिक स्वतंत्रता के मामले में रूस, चीन और सऊदी अरब के बराबर रखा गया है। सोमवार को आई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस, भारत, चीन और सऊदी अरब सहित बहुत सी सरकारें अपनी सीमाओं में विशेष समुदाय सदस्यों को स्वतंत्र रूप से निशाना बना रही हैं।
भारत का जिक्र करने पर रिपोर्ट में भारतीय जनता पार्टी पर काफी सख्त रुख नजर आता है। इसका जिक्र रिपोर्ट में 28 बार किया गया है। विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) का 24 बार और बजरंग दल का सात बार जिक्र किया गया। रिपोर्ट में पूरे भारत में बीजेपी नेताओं की तरफ से दी गईं हेटस्पीच, भड़काऊ या विभाजनकारी बयानों का भी जिक्र किया गया है।
इस नेता का भी नाम शामिल
रिपोर्ट में लिखा है, ‘बीजेपी के एक राज्य के नेता हरिभूषण ठाकुर बचौल ने कहा कि मुसलमानों को आग लगा दी जानी चाहिए। केरल में एक पूर्व विधायक पीसी जॉर्ज ने कहा हिंदुओं और ईसाइयों को मुसलमानों की तरफ से चलाए जा रहे रेस्तरां में खाना नहीं खाना चाहिए।
ये भी पढ़ें-सपा के मीडिया सेल ट्विटर हैंडल के ख़िलाफ़ गाजियाबाद में FIR दर्ज, जानें क्यों
बीजेपी के राजस्थान के पूर्व विधायक ज्ञान देव आहूजा ने हिंदुओं को मारने के लिए प्रोत्साहित किया गया।’ इसके अलावा इसमें बीजेपी प्रवक्ता नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल की तरफ से पैगम्बर मुहम्मद को लेकर की गईं टिप्पणियों का भी जिक्र है
भारत ने किया खारिज
रिपोर्ट पर ब्लिंकन ने जो बयान दिया वह काफी सधा हुआ था। उनका कहना था, ‘इसका उद्देश्य उन देशों को सामने लाना है जहां जवाबदेही के लिए धर्म या विश्वास की आजादी का दमन किया जा रहा है। रिपोर्ट के जरिए एक ऐसी दुनिया की तरफ बढ़ना है जहां धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता हर जगह हर किसी के लिए एक वास्तविकता हो।
ये भी पढ़ें-लोकसभा चुनाव में अखिलेश कांग्रेस का साथ देने को राजी! कही ये बड़ी बात
ब्लिंकन ने भारत का नाम नहीं लिया। वहीं भारत ने धार्मिक स्वतंत्रता पर आई इस रिपोर्ट को ‘पक्षपातपूर्ण’ करार देते हुए इसे खारिज कर दिया है। भारत के विदेश विभाग की तरफ से कहा गया कि ऐसी रिपोर्ट ‘गलत सूचना और समझ’ पर आधारित होती हैं।