जुबिली न्यूज डेस्क
उत्तर प्रदेश के अस्पतालों में मरीजों से इलाज से पहले एक सवाल पूछा जा रहा है। सवाल यह है कि मरीज का तब्लीगी जमात से कोई कनेक्शन तो नहीं है?
द वायर की खबर के अनुसार यूपी में मरीजों से तब्लीगी जमात से जुड़े होने का सवाल पूछा जा रहा है। खबर के मुताबिक आठ अक्टूबर को किडनी के इलाज के लिए लखनऊ में डॉक्टर राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (RMLIMS) पहुंची एक सत्तर वर्षीय बुजुर्ग महिला के साथ ऐसा ही कुछ हुआ।
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अस्पताल महिला का इलाज करने की बजाय उनके तब्लीगी जमात के कनेक्शन लिए अधिक चिंतित था। खबर के मुताबिक फरीदी नगर निवासी आमना बेगम को आठ अक्टूबर को रात करीब साढ़े दस बजे तेज दर्द शुरु हुआ। उन्होंने अपने बेट शाकिर अली को बताया तो वह उन्हें राजधानी के प्रतिष्ठित अस्पताल RMLIMS लेकर पहुंचे।
शाकिर की मां इलाज शुरु करने से पहले उन्हें जरुरी औपचारिकताएं पूरा करने और अस्पताल में भर्ती करने के लिए लिपिक विभाग में भेज दिया। यहां एक कर्मचारी ने कोविड-19 स्क्रीनिंग के रूप में मरीज के लक्षणों के बारे में पूछताछ की। ये प्रक्रिया कोरोना वायरस महामारी के प्रसार को रोकने के लिए अनिवार्य प्रोटोकॉल है।
शाकिर अली के मुताबिक जब उनकी मां दर्द से कराह रहीं थीं तब कर्मचारी पूछ रहा था कि क्या उनके मरीज या उनके परिवार के किसी सदस्य ने तब्लीगी जमात के कार्यक्रम में भाग लिया था।
शाकिर अली ने द वायर को हॉस्पिटल का कोविड-19 स्क्रीनिंग का फॉर्म भी दिखाया। इसमें अन्य आठ सवालों के साथ ये भी पूछा गया कि मरीज या उनके परिवार में से किसी सदस्य ने तब्लीगी जमात द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में भाग लिया है या नहीं।
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शाकिर ने बताया कि उनकी मां की किडनी में पथरी है। उस रात दर्द होने पर हम प्राथमिक चिकित्सा के लिए राज्य द्वारा संचालित अस्पताल पहुंचे। मैंने उनकी लेप्रोस्कोपिक सर्जरी कराने की योजना बनाई थी। मगर हमारे प्रति उनके रवैये को देखने के बाद ये विचार बदल लिया।
अली ने कहा कि अब मेरी मां दर्द से थोड़ा उबर गई हैं, मैं उन्हें ऑपरेशन के लिए निजी हॉस्पिटल ले जाऊंगा।
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मामले में हॉस्पिटल के प्रवक्ता श्रीकेश सिंह ने बताया कि हमें कोविड-19 स्क्रीनिंग फॉर्म डिजाइन करने की अथॉरिटी नहीं है। हम सिर्फ राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन कर रहे हैं।