जुबिली न्यूज डेस्क
लद्दाख में इस वक्त माहौल काफी गर्म है। जम्मू-कश्मीर में धारा 370 को केंद्र सरकार ने साल 2019 में हटा दिया और राज्य को दो केंद्र शासित राज्यों में विभाजित कर दिया। इसमें लद्दाख को अलग केंद्र शासित राज्य बनाया गया। अब इस राज्य को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर लोग सड़कों पर उतरे हैं।
बता दे कि इन लोगों की मांग है की लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए साथ ही संविधान की छठी अनुसूची को लागू किया जाए। लद्दाख के लिए संवैधानिक सुरक्षा उपायों के लिए अभियान चला रहे सोनम वांगचुक ने सोमवार को कहा कि वे अपनी मांगों को लेकर 19 फरवरी से आमरण अनशन शुरू करेंगे।
सामाजिक कार्यकर्ता और मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित सोनम वांगचुक ने मांग न पूरी होने पर आमरण अनशन की चेतावनी दी है। वांगचुक पर ही आमिर खान की फिल्म थ्री इडियट्स बनी थी। प्रदर्शन का नेतृत्व लेह एपेक्स बॉडी और कारगिर डेमोक्रेटिक अलायंस कर रही है। पूर्ण राज्य के साथ ही क्या है इनकी मांगें-
प्रमुख मांगों में किसका जिक्र
लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा मिले और संविधान के छठे शेड्यूल को लागू किया जाए। साथ ही लेह और कारगिल को संसद में अलग-अलग सीटें दी जाएं। प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि सिर्फ पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद ही उनकी मांगे पूरी होगी और अपने राज्य के लिए प्रतिनिधि चुन सकेंगे। लद्दाख में संविधान की छठी अनुसूची को लागू करने की मांग की गई है।
जो नियम असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के आदिवासी क्षेत्रों में लागू है उसे लद्दाख में भी लागू करने की मांग की जा रही है।इनका कहना है कि यह केवल बाहरी लोगों से लद्दाख की रक्षा करने के बारे में नहीं है। यह लद्दाख को लद्दाखी लोगों से बचाने का भी है। हम भी बहुत नुकसान कर सकते हैं। जैसे कि पैंगोंग झील है, सोमोरीरी झील शामिल है। छठी अनुसूची जो कुछ करती है, वह यह है कि किसी भी एजेंडे में स्थानीय मूल लोगों के परामर्श की आवश्यकता होती है।