प्रीति सिंह
करीब 6 महीने पहले अमेरिका के ह्यूस्टन शहर में हुआ था “हाउडी मोदी” शो , और अब भारत के शहर अहमदाबाद में दुनिया देखने वाली है ” केम छो ट्रम्प” ।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप दो दिवसीय दौरे पर भारत आ रहे हैं। उनके साथ उनकी पत्नी मेलानिया भी होंगी। उनकी अगुवानी के लिए भारत सरकार पिछले कई दिनों से तैयारियों में जुटा है तो वहीं ट्रंप बार-बार अपनी भारत यात्रा को लेकर उत्साह दिखा रहे हैं और साथ में बार-बार भीड़ का भी जिक्र कर रहे हैं। इसलिए उनके भारत दौरे को लेकर सवाल उठ रहे हैं। सवाल यह है कि वह किस एजेंडे के मार्फत भारत आ रहे हैं? ये अजेंडा सामान्य द्विपक्षीय कूटनीति का है या फिर इसके पीछे आने वाले दिनों में होने वाले अमेरिकी चुनावों की कोई परछाई है ?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप और उनकी पत्नी मेलानिया ट्रम्प 24 फरवरी को भारत आयेंगे। ट्रंप दंपत्ति दो दिन की यात्रा पर भारत आ रहे हैं। ट्रंप के स्वागत के लिए केंद्र सरकार ने भी खूब तैयारी की है। केंद्र सरकार के अफसर दिल्ली और अहमदाबाद एक किए हुए हैं। प्रधानमंत्री मोदी भी ट्रंप की यात्रा को लेकर उत्साहित हैं। उनका उत्साह तैयारियों को देखकर लगाया जा सकता है।
वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र दूबे की निगाह में तो ट्रंप की भारत यात्रा पूर्ण रूप से वोट की राजनीति है। चूंकि अमेरिका में साल के अंत में राष्ट्रपति का चुनाव होना है और ट्रम्प किसी भी तरह से अपने दूसरे कार्यकाल के राष्ट्रपति शासन को दोहराना चाहते हैं, इसीलिए वह भारत आ रहे हैं। आपको भी मालूम है कि अमेरिका में भारतीयों की संख्या अच्छी खासी है। वह भारतीय अमेरिकी मतदाताओं को आकर्षित करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।
तो क्या ट्रंप के चुनावी अभियान का भारत हिस्सा बनने जा रहा है के सवाल पर वरिष्ठ पत्रकार उत्कर्ष सिन्हा कहते हैं, भारत हिस्सा बनने नहीं जा रहा है बल्कि बन चुका है। सितंबर 2019 में जब पीएम मोदी अमेरिका गए थे और ह्यूस्टन में भारतीय अमेरिकियों के लिए आयोजित ‘हाउडी मोदी ‘ के कार्यक्रम में मोदी के साथ ट्रंप ने मंच साझा किया था, उसी समय से भारत उनके चुनावी अभियान का हिस्सा बन गया था। मोदी ने मंच से कहा भी था ‘अबकी बार ट्रंप सरकार’। हाउडी मोदी असल में राष्ट्रपति ट्रम्प के पक्ष में भारतीय अमेरिकियों को जुटाने का प्रयास था। अब ट्रंप की भारत यात्रा उस सीरीज का दूसरा भाग है।
2016 में अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में “अबकी बार ट्रम्प सरकार” का नारा दिया गया था। दरअसल यह नारा 2016 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जानबूझकर दिया गया था, क्योंकि 2014 में भारत में लोकसभा चुनाव के दौरान नरेन्द्र मोदी के चुनावी अभियान में “अबकी बार मोदी सरकार” का नारा दिया गया था, जो सफल हुआ था।
ट्रंप अच्छी तरह से जानते हैं कि सत्ता के दुरुपयोग के गंभीर आरोपों और कांग्रेस के अवरोध के बाद राष्ट्रपति के रूप में उनकी विश्वसनीयता कम हो गई थी। इसके लिए उन्हें अमेरिका में कठिन महाभियोग का सामना करना पड़ा था। ऐसे में उन्हें अमेरिकी भारतीय वोटर दिख रहे हैं। अब वह भारत यात्रा और मोदी के माध्यम से उन्हें अपने पाले में करने की सोच रहे हैं।
अमेरिका में भारतवंशी वोटर के महत्व और दखल का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि डेमोक्रेट पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों में एक वक्त तुलसी गबार्ड का नाम सबसे ऊपर आ चुका था । इसके अलावा कमला हैरिस और बाबी जिंदल जैसे नेताओं ने अमेरिकी राजनीति में अपना बड़ा मुकाम बना लिया है ।
अमेरिकी चुनावों में फंड रेजिग हमेशा ही महत्वपूर्ण रहा है और यहाँ ये याद रखना भी जरूरी है कि फिलहाल माइक्रोसाफ्ट से ले कर गूगल तक कई बड़ी कंपनियों के शीर्ष पदों पर भारतीय ही बैठे हैं और फंड जुटाने के मामले में इनकी बड़ी भूमिका होती है ।
एक सवाल ये भी उठ रहा है कि ट्रम्प के दौरे का असल आयोजक कौन है ? कांग्रेस ने इस सवाल को हवा भी दी है मगर इसका जवाब अभी तक नहीं नहीं मिल सका है । खबर तो ये भी है कि गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपानी को भी इस समारोह से दूर रखा गया है ।
ग्लोबलाईज दुनिया में ये फेनामीना नया है जिसे ट्रम्प और मोदी की जोड़ी गढ़ रही है ।
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