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योगी सरकार के चार साल के रिपोर्ट कार्ड की क्या है हकीकत?

जुबिली न्यूज डेस्क

सरकारों के लिए एक बात अक्सर कही जाती है कि सरकार की कथनी और करनी में जमीन-आसमान का फर्क होता है। सरकारी काम कागजों में ज्यादा होता है जमीन पर कम।

19 फरवरी को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सरकार के चार साल पूरे होने के अवसर पर सरकार की उपलब्धियों को गिनाया। उन्होंने बताया कि जो काम दशकों में नहीं हुआ था वो उन्होंने चार साल में कर दिखाया।

योगी सरकार ने अपनी उपलब्धियों का प्रचार सभी बड़े अखबारों में विज्ञापन देकर भी किया। इतना ही नहीं यह भी कहा गया कि मंत्री, नेता सरकार की उपलब्धियों को जनता बीच लेकर जाए और उन्हें बताए कि सरकार ने कितना कुछ किया है। तो चलिए जानते हैं कि योगी सरकार के इन दावों में कितनी सच्चाई है।

योगी सरकार की इन्हीं दावों की जुबिली पोस्ट ने  समीक्षा की है और मुख्य मुद्दों की हकीकत को सामने लाया है जो लोगों को सीधा प्रभावित करते हैं।

क्राइम

योगी सरकार का दावा है कि पिछले साल साल में अपराध के खिलाफ सरकार की सख्त नीतियों से सकारात्मक नतीजे आए हैं।

सरकार के इन दावों में क्या सच्चाई यह जान लेते हैं। दरअसल उत्तर प्रदेश में अपराध तो बढ़ रहे हैं लेकिन साल 2017 से अपराधों के बढऩे की दर में कमी आई है। जुबिली पोस्ट ने पिछली सरकार और योगी सरकार के चार सालों के दौरान नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के डाटा पर नजर डाला है।

बीते 8 साल में यूपी में अपराध तो बढ़ रहे हैं लेकिन साल 2012 के बाद से अपराध के बढऩे की दर ऊपर-नीचे होती रही है।

वर्ष 2012 और 2015 में अपराध के बढऩे की दर वर्ष 2019 के मुकबाले कम थी, तब अपराध 1.5 प्रतिशत और 0.6 प्रतिशत की दर से बढ़े थे।

साल 2017 में योगी आदित्यनाथ ने यूपी की सत्ता संभाली थी। इस साल अपराधों में 10 प्रतिशत की बढ़त हुई, अगले साल भी अपराध बढऩे की दर 10 फीसदी ही रही लेकिन साल 2019 में ये 3 प्रतिशत थी।

हालांकि वर्ष 2019 में उत्तर प्रदेश में भारतीय दंड संहिता के तहत देश में सबसे ज़्यादा अपराध दर्ज किए गए।

दंगे

19 फरवरी को पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दावा किया कि उनके सत्ता में आने के बाद से राज्य में कोई दंगा नहीं हुआ।

योगी के इन दावों में कितनी सच्चाई है यह जानते हैं। आंकड़ों के अनुसार योगी सरकार का यह दावा बिल्कुल गलत है।

यूपी में सांप्रदायिक दंगों की वारदातें साल 2018 के बाद से कम तो हुई हैं लेकिन अभी भी उत्तर प्रदेश में दंगों से जुड़े मामले महाराष्ट्र और बिहार के बाद सबसे ज़्यादा दर्ज किए जाते हैं।

एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में साल 2016 में 8016 दंगों से जुड़े मामले दर्ज हुए। साल 2017 में ये संख्या 8990 रही जबकि साल 2018 में 8909 और 2019 में 5714 मामले दर्ज किए गए।

साल 2017 में योगी आदित्यनाथ ने सत्ता संभालने के बाद भी ऐसा ही दावा किया था कि उत्तर प्रदेश में दंगे बंद हो गए हैं, लेकिन आधिकारिक डाटा उनके दावों से ठीक उलट है।

कत्ल और बलात्कार

योगी सरकार का दावा है कि 2016-17 के मुकाबले कत्ल के मामले 19 प्रतिशत और बलात्कार के मामलों में 45 प्रतिशत की कमी आई है।

योगी सरकार के इन दावों की सच्चाई ये हैं कि यूपी में बलात्कार और हत्या के मामले कम हुए हैं लेकिन देश के बाकी प्रांतों के मुकाबले उत्तर प्रदेश इन अपराधों के मामले में सबसे अग्रणी राज्यों में शामिल है।

बीबीसी के अनुसार योगी ने 2017 में सत्ता संभाली थी। मौजूदा आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में साल 2016 से 2019 के बीच दर्ज किए गए बलात्कार के मामलों में 36 फीसदी की कमी आई है जबकि मुख्यमंत्री ने 45 फीसदी की कमी आने का दावा किया था।

भारत में बलात्कार के मामलों में उत्तर प्रदेश दूसरे नंबर पर है।

वहीं साल 2016 से 2019 के बीच कत्ल के मामलों में भी 25 प्रतिशत की कमी आई है लेकिन प्रदेश अब भी सबसे अधिक कत्ल की वारदातें दर्ज करने वाले प्रांतों में शामिल है।

अर्थव्यवस्था

योगी सरकार का दावा है कि राज्य में प्रति व्यक्ति आय दोगुनी हो गई है। प्रति व्यक्ति आय साल 2015-16 में 47116 से बढ़कर आज 94,495 रुपए हो गई है।
लेकिन सच्चाई इससे बिल्कुल इतर है। उत्तर प्रदेश के प्लानिंग इंस्टीट्यूट को आर्थिक और सांख्यिकी विभाग के अनुसार ये दावा गलत है।

साल 2017 में योगी आदित्यनाथ के सत्ता संभालने के बाद पहले साल में प्रति व्यक्ति आय में चार प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी। अगले साल इसमें दो प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई लेकिन अगले दो सालों में ये गिरकर पांच प्रतिशत तक नीचे आ गई।

ताजा आंकड़ों के अनुसार साल 2020-21 में प्रति व्यक्ति आय 0.4 प्रतिशत गिरकर 65,431 रुपए पर आ गई है।

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