Tuesday - 30 July 2024 - 6:06 PM

मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न देने में अड़चन क्या है?

  • भारत रत्न के लिए ध्यानचंद के नाम की अनुशंसा यूपीए सरकार में खेलमंत्री रहे अजय माकन और मौजूदा भाजपा सरकार में खेलमंत्री रहे विजय गोयल ने 2017 में की थी
  • पूर्व ओलंपियंस ने भी 2016 में उन्हें भारत रत्न से नवाजने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था
  • 2011 में 80 से अधिक सांसदों ने ध्यानचंद को यह सम्मान देने की मांग की थी 

सैय्यद मोहम्मद अब्बास 

नादान नासमझ पागल दीवाना… सबको अपना माना तूने… मगर ये ना जाना…मतलबी हैं लोग यहाँ पर…मतलबी ज़माना… मतलबी हैं लोग यहाँ पर…मतलबी ज़माना… सोचा साया साथ देगा …निकला वो बेगाना…बेगाना बेगाना…अपनों में मैं बेगाना….ये गाना मशहूर फिल्म बेगाना का है और इसको किशोर कुमार ने गाया है लेकिन आज की डेट में ये गाना हॉकी के जनक मेजर ध्यानचंद पर सटीक बैठता है।

आपको थोड़ी हैरानी होगी लेकिन ये बिल्कुल सच है क्योंकि मेजर ध्यानचंद के साथ यहां सब कुछ देखने को मिल रहा है। जिस खिलाड़ी ने पूरी दुनिया में हिन्दुस्तान की धाक जमाई थी, उसी खिलाड़ी के साथ आज तक बेगाने जैसा बर्ताव किया जाता है। उनके नाम पर हॉकी टूर्नामेंट खेले जाते हैं। इतना ही नहीं सरकार भी उनके नाम का भरपूर तरीके से इस्तेमाल करती है।

PHOTO @SOCIAL MEDIA

उनके नाम पर देश में कई हॉकी स्टेडियम है। हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले ध्यानचंद कोई मामूली शख्सियत नहीं है। लगातार तीन ओलंपिक (1928 एम्सटर्डम, 1932 लॉस एंजेलिस और 1936 बर्लिन) में भारत को हॉकी का स्वर्ण पदक दिलाने वाले ध्यानचंद की उपलब्धियों पर अगर गौर करेंगे तो आप भी गौरवान्वित महसूस करेंगे।

हर साल उनके जन्मदिन पर सरकार बड़ी-बड़ी घोषणा करती है। इतना ही नहीं मेजर ध्यानचंद को 1956 में देश के तीसरे दर्जे का सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण तो दिया गया, लेकिन सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न के लिए उनके नाम पर विचार तो करती है लेकिन देने से हर बार मना कर देती है।

जब लग रहा था कि उनको ये सम्मान मिल जायेगा लेकिन उनकी जगह सचिन तेंदुलकर को साल 2014 भारत रत्न से सम्मानित कर दिया गया और ध्यानचंद आज भी अपनी बारी का इंतेजार कर रहे हैं।

सवाल ये हैं कि इतना बड़ा खिलाड़ी जिसका जन्मदिन 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन हर साल खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न के अलावा अर्जुन और द्रोणाचार्य पुरस्कार बांटे जाते हैं आखिर उसी खिलाड़ी के साथ बेगाने जैसा बर्ताव किया जाता है।

हालांकि जब अपना मतलब होता है तो उसके नाम पर खूब खेला जाता है लेकिन बड़ा सवाल है कि मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न देने में अड़चन क्या है? अभी तक इस सवाल का जवाब कई लोग बरसों से खोज रहे हैं लेकिन इस सवाल का जवाब जुबिली पोस्ट को तब मिला जब इस सिलसिले में कई हॉकी विशेषज्ञों से बात की तब पता चला है आखिर असली वजह क्या है जो अब तक उनको ये सम्मान नहीं मिल सका।

दरअसल एक हॉकी विशेषज्ञ ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ध्यानचंद को ये बड़ा सम्मान बरसों पहले मिल जाना चाहिए थे लेकिन अभी तक नहीं मिला है। हमने कई बार मांग की तो सरकार की तरफ से कोई ठोस जवाब नहीं मिलता है लेकिन कहा जाता है कि मेजर ध्यानचंद की उपलब्धि आजादी से पहले की थी तो हम उनको कैसे दे सकते हैं इतना बड़ा सम्मान।

इतना ही नहीं मेजर ध्यानचंद तो उस वक्त ब्रिटिश सरकार की तरफ से ओलंपिक में भाग लेते थे। ऐसे में कैसे संभव है कि हम उनको भारत रत्न दे। बात यहीं खत्म नहीं होती है जब आप उनकी कामयाबी को आजादी से जोडक़र देख रहे हैं तो फिर आप उनके नाम का  इस्तेमाल क्यों करते हैं?

पूर्व ओलम्पियन सैयद अली की माने तो जिसके नाम पर आज पूरे देश में कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं तो उनको भारत रत्न देने से क्यों सरकार किनारा कर रही है? उन्होंने कहा कि मेजर ध्यानचंद ने आजादी से पहले भारत का तिरंगा विदेशों में बुलंद किया था।अगर आप उनकी कामयाबी को ब्रिटीश सरकार से जोडक़र देख रहे हैं तो बेहद गलत है क्योंकि उन्होंने हमेशा भारतीय तिरंगे का मान बढ़ाया है। आप उनके जन्म दिन पर खेल दिवस की घोषणा कर सकतेहैं और मेजर ध्यानचंद को 1956 में देश के तीसरे दर्जे का सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मभूषण दे सकते हैं लेकिन भारत रत्न देने के बारे में तमाम तरह के बहाने बनाना ठीक नहीं है। मैंं चाहता हूं कि सरकार जल्द इस पर कोई फैसला ले।

वहीं पूर्व ओलम्पियन सुजीत कुमार ने यहां तक कहा कि अब तो ये मांग करते-करते हम लोग थक चुके हैं। सरकार को ये बताना चाहिए कि आखिर क्यों नहीं ध्यानचंद को भारत रत्न दिया जा रहा है। सरकार ये बताये कि किस आधार पर सचिन को ये अवॉर्ड दिया गया और ये भी बताया कि क्या सरकार ध्यानचंद को इस अवार्ड के लायक नहीं समझती है। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि उनको ये अवॉर्ड जल्द देना चाहिए।

जब इस बारे में पूर्व ओलम्पियन दानिश मुज्तबा से बात की तो उन्होंने कहा कि बेहद अफसोस की बात है कि अभी तक उनका ये सम्मान नहीं दिया गया। जब मैं खेलता था तब इसको लेकर हमने भी कई बार आवाज उठाई लेकिन हर बार-बार तरह के बहाने बनाकर उनको ये सम्मान देने से इनकार किया। उन्होंने कहा कि अगर आप इतना उनका सम्मान करते हैं तो फिर भारत रत्न देने में क्या परेशानी है?

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