जुबिली स्पेशल डेस्क
पटना। बिहार में जातीय जनगणना मामला लगातार सुर्खियों में है। जातीय जनगणना को लेकर नीतीश सरकार काफी गम्भीर लग रही है। इसको लेकर सरकार 1 जून को सर्वदलीय बैठक करने जा रही है।
एक इग्लिश अखबार की माने तो बिहार राज्य की प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के नेताओं ने सूबे में प्रस्तावित जातीय जनगणना में मुसलमानों की जातियां गिनने का समर्थन करने की बात कही है।
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जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी की माने तो जातीय जनगणना या सर्वेक्षण में सभी जातियों को गिनती होनी चाहिए। वहीं बिहार बीजेपी अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने भी कुछ इसी तरह का बयान देते हुए कहा कि मुसलमानों में भी जातियों की गिनती की जानी चाहिए।
जब आप ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) और ईबीसी (अत्यंत पिछड़ा वर्ग) आरक्षण (मुसलमानों को) दे रहे हैं, तो यह उनकी संख्या से भी उचित होना चाहिए।
बता दे कि इससे पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जातीय जनगणना के सवाल पर कहा था कि सभी दल एक साथ बैठकर इस पर निर्णय लेंगे। प्रदेश के अंदर इसको लेकर जो कराना होगा, वह सबकी सहमति से करेंगे। उन्होंने कहा था कि हम अपनी तरफ से अभी कोई ऐलान करना उचित नहीं समझते हैं। विधानसभा उपचुनाव के बाद बैठक करेंगे।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जनता दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम के बाद पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा था कि जातीय जनगणना बहुत ही अच्छे ढंग से की जाएगी, ताकि सही जानकारी मिले। इसके लिए प्रशिक्षण भी देना होगा। मेहनत करके एक-एक चीज नोट करना होगा।
नीतीश कुमार ने सवालिया लहजे में कहा था कि कोई जाति है, जिसमें उपजातियां नहीं होती हैं? हर जाति की उपजातियों के साथ जानकारी लेनी होगी। तभी जान पाएंगे कि किनकी कितनी संख्या है। किनके लिए कितने अच्छे से काम किया जाये, जिससे सब तबकों का विकास हो। देश का भी विकास होगा।
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