जुबिली न्यूज डेस्क
बिहार में चुनावी बिगुल बज चुका है। चुनावी अखाडें़ में उतरने के लिए राजनीतिक दल भी कमर कस चुके हैं। पहले चरण में 71 सीटों पर पर्चा भरने का आज से दौर शुरु हो गया है।
चुनावी अखाड़े में उतरने के लिए टिकट को लेकर नेता भी राजनीतिक दलों के शीर्ष नेतृत्व की पैरवीं में महीनों से जुटे हुए हैं तो वहीं राजनीतिक दलों का भी उम्मीदवारों को लेकर मंथन चल रहा है।
इस बीच बिहार में आधी आबादी ने चुनाव में महिलाओं की भागीदारी को लेकर एक कैंपेन के माध्यम से अपनी मांग रखी है। आम महिलाएं हो या कामकाजी, जनप्रतिनिधि हो या विभिन्न क्षेत्र में ऊंचे पद पद आसीन या फिर ग्रामीण महिलाएं। इन सबने ‘सेल्फी विद अस’ कैम्पेन के जरिए चुनाव में 50 फीसदी महिला उम्मीदवारों की मांग की है।
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आम महिला से लेकर जनप्रतिनिधियों समेत हर क्षेत्र की महिलाएं इस कैंपेन में शामिल हुई हैं। इनकी मांग हैं कि राजनीतिक दल टिकट में महिलाओं को आधी हिस्सेदारी सुनिश्चित करें।
यही नहीं चुनाव में महिला उम्मीदवारों की संख्या बढ़े, उन्हें हर राजनीतिक दल टिकट दें, इसे लेकर अलग अलग सेक्टर से जुड़े लोग भी इस कैम्पेन में शामिल हुए।
68 साल में 277 ही महिला विधायक
पिछले कुछ सालों में बिहार की राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है पर वह सिर्फ पार्टी के कामकाज तक ही सीमित हैं। राजनीति दलों को महिलाओं को पार्टियों में शामिल करने से कोई परहेज नहीं है पर चुनाव में टिकट देने की बारी आती है तो वह इनसे किनारा कर लेते हैं।
लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा, आबादी के हिसाब से यहां महिलाओं को चुनाव में प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं मिलता है। चुनाव से पहले तक राजनीतिक दलों के सर्वेसर्वा और वरिष्ठï नेता सार्वजनिक मंच से महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने को लेकर खूब बढ़-चढ़कर बातें करते हैं, पर जब चुनाव में इसे अमल में लाने की बात आती है तो उन्हें कुछ याद नहीं रहता। उस समय राजनीतिक दल चुनाव जीतने के सारे समीकरण देखने लगते हैं।
राजनीतिक दलों के दोहरे रवैये का ही नतीजा है कि बिहार में 68 साल में अब तक विधायक बनने वाली महिलाओं की कुल संख्या 277 ही रही हैं। बिहार की 90 प्रतिशत विधानसभा सीटों पर पुरुषों का कब्जा है।
एक समय में पूरे देश में बिहार खूब चर्चा में रहा था जब उसने पंचायत चुनाव में महिलाओं को 50 फीसदी हिस्सेदारी देने का फैसला किया था। अब बिहार की आधी आबादी की ऐसी ही मांग विधान सभा चुनाव को लेकर है।
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सितम्बर में चले इस कैम्पेन में मुजफ्फरपुर समेत पूरे बिहार से 35 लाख से अधिक लोगों ने इसका समर्थन किया जिसमें छात्र, जनप्रतिनिधि से लेकर सभी वर्ग के लोग शामिल रहे।
कैंपेन में शामिल महिलाओं का कहना है कि मतदान में आधी हिस्सेदारी है मगर चुनाव में उम्मीदवारी नहीं मिलती है। सेल्फी कैम्पेन से पहले हस्ताक्षर अभियान के साथ 25 पार्टियों को इस संबंध में आंकड़े के साथ महिलाओं ने आधी आबादी की टिकट की मांग उठाई है।
महिलाओं ने कहा कि पिछले मतदान के आंकड़ों के अनुसार 59 फीसदी महिला वोटर रही मगर 11 फीसदी ही महिला विधायक यहां हैं। अब महिलाओं ने इस कैम्पेन को आगे बढ़ाते हुए एक शॉर्ट फिल्म भी बनाई है जो दो अक्टूबर को रिलीज होगी।
120 सगंठन और आम महिलाएं आईं साथ
कैम्पेन की शुरूआत करने वाली तारा कहती हैं कि हमने इसका नाम शक्ति दिया है। आज बिहार में 120 सगंठन इससे जुड़े हैं और 35 लाख से अधिक लोगों का इसे समर्थन मिला है। तारा कहती हैं कि उड़ीसा समेत कई राज्यों में यह कैम्पेन चला और इसका सकारात्मक असर रहा।