न्यूज डेस्क
चुनाव आयोग ने असम में एनआरसी से बाहर रखे गए लोगों के लिए बड़ा फैसला दिया है। राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) से बाहर किए गए लोग चुनाव में वोट डाल सकेंगे।
हालांकि इन लोगों को मतदान का अधिकार तभी तक होगा, जब तक नागरिक ट्रिब्यूनल उनके खिलाफ फैसला न सुना दे। नागरिक ट्रिब्यूनल का फैसला आने तक वोटर लिस्ट में मौजूद हर एक मतदाता को वोट डालने का अधिकार होगा।
गौरतलब है कि असम में 31 अगस्त को एनआरसी की अंतिम सूची जारी की गई। इस सूची में करीब 19 लाख लोगों का नाम शामिल नहीं है। इसमें करीब 12 लाख हिंदू हैं।
जिन लोगों के नाम एनआरसी के फाइनल लिस्ट में नहीं आए उन्होंने इसके खिलाफ नागरिक ट्रिब्यूनल की ओर रूख किया है और उनके दावों पर सुनवाई चल रही है।
फिलहाल चुनाव आयोग के फैसले के बाद जब तक फाइनल ऑर्डर नहीं आ जाता तब तक इनके वोट देने के अधिकार बहाल रहेगा।
मालूम हो कि एनआरसी को लेकर पूरे देश में माहौल गर्म है। पश्चिम बंगाल में तो लोग खौफ में हैं। लोगों की जन्म प्रमाण पत्र बनावाने के लिए नगर निगम पर भारी भीड़ जुट रही है।
हालांकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एनआरसी को लेकर लगातार ऐतराज जता रही हैं। ममता बनर्जी ने मंगलवार को दावा किया कि पश्चिम बंगाल में एनआरसी लागू नहीं किया जाएगा। जो यहां के स्थाई निवासी हैं, उन्हें कोई बाहर नहीं निकाल सकता।
वहीं दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि अगर दिल्ली में एनआरसी लागू हुई तो बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी को भी दिल्ली छोडऩी पड़ेगी। इस बयान के बाद राजधानी में इसको लेकर राजनीति शुरू हो गई है।
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने केजरीवाल पर हमला करते हुए कहा कि केजरीवाल को मालूम होना चाहिए कि एनआरसी में घुसपैठियों को चिन्हित किया जाता है। इस बीच केजरीवाल के आवास के बाहर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पूर्वांचल मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को प्रदर्शन किया था।
जबकि कपिल मिश्रा ने केजरीवाल के बयान को लेकर पार्लियामेंट स्ट्रीट थाने में शिकायत दर्ज कराई है। इस शिकायत में केजरीवाल और सौरभ भारद्वाज पर एनआरसी के बारे में झूठी अफवाह फैलाने का आरोप लगाया गया।