न्यूज डेस्क
आज लोग अपना जितना समय सोशल मीडिया पर खर्च करते हैं, उतना शायद ही किसी काम में करते हो। फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्स ऐप जैसी सोशल मीडिया साइट पर घंटों समय बिताने वालों के लिए ये खबर अहम हैं। दरअसल लेबनान में व्हाट्स ऐप और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर टैक्स लगाए जाने की वजह से यहां के लोग सड़क पर उतर आए हैं। लोग हिंसक विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं।
लेबनान शहर पिछले कई दिनों से जल रहा है। लोगों के गुस्से का आलम यह है कि सरकार द्वारा प्रतिबंंध वापस लेने के बावजूद लोगों का गुस्सा शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। हिंसक प्रदर्शन देखते हुए संयुक्त अरब अमीरात ने लेबनान में रह रहे अपने नागरिकों के लिए अलर्ट जारी किया है।
गौरतलब है कि लेबनान सरकार ने 17 अक्टूबर 2019 को व्हाट्सऐप और फेसबुक मैसेंजर जैसे कुछ सोशल मीडिया ऐप पर टैक्स लगाने की घोषणा की थी। इसके तहत सोशल मीडिया ऐप के जरिए फोन कॉल करने पर टैक्स लागू किया गया था।
लेबनान सरकार ने ऐप बेस्ट कॉलिंग पर प्रतिदिन 0.20 डॉलर (भारतीय मुद्रा में 14.16 रुपये) का टैक्स लगा दिया था। सरकार की इस घोषणा के थोड़ी देर बाद ही लोग सड़कों पर उतर आए। प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच हिंसक झड़पें शुरू हो गईं थी। इसके थोड़ी देर बाद ही लेबनान ने अपने फैसले को वापस ले लिया था।
दरअसल लेबनान सरकार ने ये फैसला देश के आर्थिक संकट से निपटने के लिए लिया था, जो जनता को रास नहीं आया। सरकार के इस फैसले के खिलाफ सड़क पर उतरे लोगों ने पीएम के इस्तीफे की मांग शुरु कर दी। प्रदर्शनकारियों ने पूरे शहर का ट्रैफिक जाम कर दिया। कई जगहों पर लोगों की सुरक्षाबलों से सीधी झड़प हो गई।
सुरक्षाबलों के भीड़ को तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग और आंसू गैस तक का इस्तेमाल करना पड़ा था। इन झड़पों में काफी संख्या में लोग घायल हुए थे। हिंसा के अगले दिन लेबनान के प्रधानमंत्री साद अल-हीरो ने कहा था कि देश बहुत कठिन दौर से गुजर रहा है। ऐसे में लोगों को संयम बरतना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने पद से इस्तीफा देने से इंकार कर दिया था।
लेबनान पिछले काफी समय से आर्थिक संकट से गुजर रहा है। आर्थिक संकट के लिए लोग सीधे तौर पर सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। हालांकि, प्रदर्शन की शुरूआत कैसे और कहां से हुई, ये स्पष्ट नहीं है।
आर्थिक संकट और सोशल मीडिया पर टैक्स के अलावा सरकार के प्रति लोगों की नाराजगी की एक और वजह है। वह वजह है जंगलों में लगी भयानक आग। लोगों को लगता है कि सरकार ने जंगलों की भीषण आग को बुझाने के लिए ठोस प्रयास नहीं किये। लोगों का कहना है कि पिछले कई दशकों में जंगलों में ऐसी भीषण आग नहीं लगी थी। सरकार को आग को जल्द से जल्द काबू करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए थे।
लेबनान में जारी हिंसा को देखते हुए, संयुक्त अरब अमीरात ने वहां रह रहे अपने नागरिकों के लिए एडवायजरी जारी की है। साथ ही यूएई दूतावास ने अपने लोगों की सुरक्षित वतन वापसी के लिए लेबनान में एक केंद्र भी बना दिया है।
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