न्यूज डेस्क
देश में नवरात्र की धूम है। देवी दुर्गा और पूजा पंडाल की बात हो तो पश्चिम बंगाल और खासकर कोलकाता का जिक्र होना लाजिमी है। कोलकाता अपने दुर्गा पूजा की वजह से भी जाना जाता है। इस बार भी कोलकाता का एक दुर्गा पंडाल चर्चा में है।
दक्षिण कोलकाता के मशहूर दुर्गापूजा आयोजकों में शुमार कस्बा के राजडांगा नव उदय संघ ने इस बार राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को अपना थीम बनाया है। पंडाल लोगों के लिए जिज्ञाशा का विषय बना हुआ है।
एनआरसी थीम पर पूजा समिति के सचिव प्रशांत दास कहते हैं-हमने बंगाल के लोगों में एनआरसी को लेकर व्याप्त दहशत को दर्शाने की कोशिश की है। पंडाल में विशाल रैकेट व शटलकॉक को दर्शाया गया है। शटलकॉक के जरिए यह दर्शाने की कोशिश की गई है कि शरणार्थी का कोई औचित्य नहीं है। उन्हें शटलकॉक की तरह दो देशों द्वारा रैकेट से एक-दूसरे की ओर फेंका जा रहा है।’
वहीं पूजा समिति के अध्यक्ष सुशांत घोष का कहना है कि शरणार्थियों के मानवाधिकारों को ताक पर रखकर उनके साथ ज्यादती की जा रही है। वे आज कहीं के नहीं हैं। उन्होंने कहा कि दुर्गा प्रतिमा में लोहे की बाड़ लगाई गई है, जो सीमा का प्रतीक है और भौगोलिक रूप से देशों को पृथक करती है लेकिन इससे लोग भी अलग हो रहे हैं।
इस मामले में थीम आर्टिस्ट सुब्रत बनर्जी ने कहा कि मूर्ति के पास एक पक्षी भी दिखाया गया है, जिसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि उसे देखने से यह प्रतीत हो रहा कि सीमाओं में देशों के बंटने के बाद इंसान शरणार्थी बन सकते हैं लेकिन अन्य प्राणी नहीं क्योंकि वे मानव से कहीं अधिक मुक्त हैं।
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इस थीम पर घोष का कहना है कि हमने इस थीम के जरिए शरणार्थियों की रक्षा करने की मांग की है। अगर आप विस्थापित लोगों का मुद्दा उठाएंगे तो एनआरसी की अनदेखी नहीं कर सकते।
यदि आंकड़ों की मानें तो असम के बाद बंगाल दूसरा ऐसा राज्य है, जहां बांग्लादेश से आए लोग काफी तादाद में हैं। इस मसले को लेकर केंद्र व बंगाल सरकार आमने-सामने हैं।
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल के लोग एनआरसी को लेकर दहशत में हैं। हालांकि राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कई बार कह चुकी है कि पश्चिम बंगाल में एनआरसी नहीं लगाया जायेगा। मुख्यमंत्री के बयान के बाद भी यहां की जनता भरोसा नहीं कर पा रही है।
यहां भारी संख्या में लोग नगर निगम के दफ्तर में जन्म प्रमाण पत्र बनवाने पहुंच रहे हैं। जन्म प्रमाण पत्र बनवाने वालों में 40 से 65 साल तक के लोग शामिल हैं।
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