न्यूज डेस्क
आकाशवाणी और दूरदर्शन के कर्मचारियों और अफसरों के लिए प्रसार भारती ने फरमान जारी किया है। प्रसार भारती ने हिदायत दी है कि कोई भी बिना इजाजत के मीडिया से बातचीत नहीं करेगा।
प्रसार भारती की तरफ से जारी किये गये निर्देश के मुताबिक दूरदर्शन (DD) और आल इंडिया रेडियो के अधिकारियों को किसी भी प्रेस ब्रीफिंग से पहले प्रसार भारती के एडिशनल डायरेक्टर जनरल (मार्केटिंग) से इजाजत लेनी होगी।
प्रसार भारती की तरफ से कहा गया है कि मीडिया से जुड़े किसी भी एक्टिविटी मसलन -लोकेशन शूट, प्रेस रिलीज जारी करना, होर्डिंग या विज्ञापन देने संबंधी कार्यों के लिए दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो को अनुमति लेनी होगी।
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इस फरमान के जारी होने के बाद दूरदर्शन और आकाशवाणी में अंदर ही अंदर इसे ‘खामोश रहने वाला आदेश’ कहा जाने लगा है। इस फैसले के बचाव में दलील देते हुए प्रसार भारती के सीईओ शशि शेखर वेमपति ने कहा कि ‘हमने यह नोटिस किया है कि दूरदर्शन और आकाशवाणी से जुड़े कई लोग लगातार मीडिया से बातचीत करते हैं। किसी भी कॉरपोरेट में, संवाद के लिए एक निश्चित कॉरपोरेट नीति होती है। लिहाजा, जो यह निर्देश दिया गया है वो इसी नीति का हिस्सा है। इसमें कुछ भी असामान्य नहीं है।
वहीं डीडी और एआईआर से जुड़े लोगों का कहना है कि दरअसल यह फैसला इन संस्थानों से जुड़े बड़े अधिकारियों को नीचा दिखाने के लिए किया गया है। डीडी के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि डीडी और एआईआर के अधिकारियों से कई जिम्मेदारियां छीन ली गई हैं। इसमें ब्रॉडक्रॉस्ट, स्पोर्ट्स, कमर्शियल्स जैसे अधिकारी अब प्रसार भारती के पास चले गए हैं। दरअसल प्रसार भारती अब स्वतंत्र रूप से अपनी पहचान बनाना चाहता है।
कुछ अधिकारियों का यह भी कहना है कि प्रसारी भारती अब इन दोनों संस्थानों में अधिकारियों के ट्रांसफर और अन्य प्रशासनिक कामों में भी दखलअंदाजी रखता है। स्पोर्ट्स और कमर्शियल्स के ब्रॉडकास्ट का अधिकारी कभी डीडी और एआईआर के निर्देशकों के पास हुआ करता है, लेकिन पिछले कुछ महीनों से प्रसार भारती ही इन सभी चीजों का संचालन कर रहा है। इस फैसले का विरोध करने वालों का कहना है कि प्रसार भारती की कोशिश है कि वो दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो से अलग अपनी पहचान बना सके।