स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली। हिन्दुत्व को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 1995 में एक फैसला देते हुए कहा था कि हिंदुत्व को भारतीय लोगों की जीवन शैली है। अब इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट दोबारा विचार कर सकता है। दरअसल हिंदुत्व के अपने पहले दिए गए फैसले पर सुप्रीम कोर्ट फिर से विचार करने वाली याचिका पर जल्द सुनवाई कर सकता है। चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा था कि हिंदुत्व के फैसले पर पुनर्विचार वाली याचिकाएं दाखिल हैं। चीफ जस्टिस ने कहा कि जैसे ही सबरीमाला के की सुनवाई पूरी हो जाएगी वह इस मामले में सुनवाई शुरू करेंगे।
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कब दिया था इसपर अपना फैसला
थोड़ा पीछे जाये तो हिंदुत्व को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया था। दरअसल 11 दिसंबर 1995 में जस्टिस जेएस वर्मा की बेंच ने इस मसले पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा था कि हिंदुत्व शब्द भारतीय लोगों की जीवन शैली की ओर इशारा करता है। कहा था कि हिंदुत्व को सिर्फ धर्म तक सीमित नहीं किया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही हिंदुत्व के इस्तेमाल को रिप्रजेंटेशन ऑफ पीपुल ऐक्ट की धारा-123 के तहत करप्ट प्रैक्टिस नहीं माना था। इसके बाद 1995 के फैसले पर सवाल उठे थे, इसके बाद जनवरी 2014 में पांच जजों की बेंच के सामने आया, जिसे 7 जजों की बेंच को रेफर कर दिया गया था।
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जस्टिस वर्मा ने कहा कि सिर्फ इस आधार पर कि भाषण में हिंदुवाद और हिंदुत्व जैसे शब्द इस्तेमाल हुए हों, व्यक्ति को धारा 123 के सेक्शन (3) व (3A) के के तहत शामिल नहीं किया जा सकता।
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कोर्ट ने कहा था कि यह भी संभव है कि इन शब्दों का इस्तेमाल धर्मनिर्पेक्षता को बढ़ावा देने या भारतीयों की जीवनशैली बयां करने के लिए किया गया हो।