Saturday - 26 October 2024 - 9:54 AM

मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के नए सीएम में क्या है कॉमन!

भारतीय जनता पार्टी ने हिंदी बेल्ट के तीनों राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में नए मुख्यमंत्रियों के नाम फाइनल कर दिए हैं. तीनों राज्यों में बीजेपी ने नए चेहरों को मौका दिया है. खास बात यह है कि इन तीनों नेताओं के नाम चौंकाने वाले रहे. मध्य प्रदेश और राजस्थान में मोहन यादव और भजन लाल शर्मा का नाम दूर तक मुख्यमंत्री की रेस में शामिल नहीं था. विधायक दल की बैठक में भी दूसरी-तीसरी पंक्ति में बैठे थे. लेकिन जब अचानक घोषणा हुई तो उन्हें खुद सीएम के लिए चुने जाने पर भरोसा नहीं हुआ. हालांकि, छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय की सीएम की रेस में गिने जा रहे थे.

कुछ चीजे हैरान करने वाली है क्योकि तीनों नेताओं में कुछ बातें कॉमन हैं. यानी एक जैसे बैकग्राउंड-पृष्ठभूमि से आते हैं. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से वर्षों पुराना जुड़ाव रहा है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में लंबे समय तक काम किया है. तीनों की उम्र भी 60 साल से कम है. तीनों राज्यों की जनता के लिए नए और अननोन चेहरे भी हैं. सिर्फ शर्मा पर एक एफआईआर है. सोशल इंजीनियरिंग के लिहाज से देखें तो तीनों राज्यों में अलग-अलग समुदाय से मुख्यमंत्री हैं. तीनों राज्यों में डिप्टी सीएम को लेकर भी जातिगत समीकरण साधे गए हैं.

बीजेपी ने राजस्थान का सीएम बनाया है. प्रदेश के लिए अननोन चेहरे हैं. ब्राह्मण समाज से हैं. पहली बार सांगानेर से विधायक बने हैं. इससे पहले 27 साल की उम्र में दो बार गांव के सरपंच रहे. राजनीति में 34 साल से सक्रिय हैं. मूलत: भरतपुर जिले के अटारी गांव के रहने वाले हैं. पॉलिटिकल साइंस में मास्टर्स हैं. सबसे पहले आरएसएस से जुड़े. वहां काफी समय तक सक्रिय रहे और जनभागीदारी निभाई.

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में काम किया. कश्मीर में यात्रा निकाली. वहां उधमपुर में गिरफ्तारी हुई. अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन का हिस्सा रहे. इस मूवमेंट में 1992 में जेल गए. बाद में बीजेपी युवा मोर्चा के पदाधिकारी बने. कुछ समय बाद बीजेपी के जिलाध्यक्ष रहे. फिर प्रदेश उपाध्यक्ष और अभी प्रदेश महामंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे थे. गृह मंत्री अमित शाह के करीबी माने जाते हैं. शांत और सरल-सहज स्वभाव के माने जाते हैं.

उज्जैन दक्षिण से विधायक हैं. तीसरी बार एलएलए चुने गए हैं. ओबीसी समाज से हैं. पहली बार 2013 में विधायक बने थे. पिछली शिवराज सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री थे. संघ का करीबी माना जाता है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से स्टूडेंट पॉलिटिक्स से करियर की शुरुआत की. 1984 में एबीवीपी उज्जैन के नगर मंत्री बने. बाद में वे ABVP में ही प्रदेश और राष्ट्रीय इकाई के पदाधिकारी बने. 1993 में आरएसएस में पदाधिकारी रहे. उसके बाद बीजेपी युवा मोर्चा में काम किया. साल 2000 में बीजेपी के पदाधिकारी बने. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की पसंद भी बने. सरल-सहज स्वभाव भी चर्चा में रहता है.

बीजेपी से कुनकुरी से विधायक हैं. छत्तीसगढ़ में बड़ा आदिवासी चेहरा हैं. अनुसूचित जनजाति समाज से हैं. रायगढ़ से कुल चार बार सांसद भी रहे हैं. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में केंद्र में मंत्री रहे हैं. प्रदेश में पार्टी के अध्यक्ष रहे हैं. दो बार विधायक रहे हैं. 2019 में बीजेपी ने लोकसभा का टिकट नहीं दिया था. साय 1980 में बीजेपी में शामिल हुए. जमीनी स्तर पर संघर्ष किया. सरपंच से राजनीतिक करियर की शुरुआत की. सरकार से लेकर संगठन में काम किया. किसान परिवार से हैं. ये तीसरी पीढ़ी से राजनीति में हैं और जनसंघ से परिवार जुड़ा है. दादा 1947-1952 तक विधायक रहे हैं. बड़े पिता भी जनसंघ के समय 1967-1972 तक एमएलए रहे. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के भी करीबी हैं. छवि, अनुभव और स्वभाव भी सीएम के चयन में महत्वपूर्ण रहा.

तीनों नेताओं की शिक्षा की बात करें तो विष्णुदेव साय 11वीं पास हैं. मोहन यादव पीएचडी और एलएलबी किए हैं. भजन लाल शर्मा ने एमए किया है. संपत्ति की बात करें तो विष्णु देव साय के पास 3.80 करोड़ रुपए, मोहन यादव के पास 42 करोड़ और भजन लाल शर्मा के पास 1.47 करोड़ रुपए संपत्ति है. 

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