जुबिली न्यूज डेस्क
कुछ दिनों पहले अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल ने फेसबुक पर आरोप लगाया था कि वह भाजपा से जुड़े ग्रुप और व्यक्तियों पर मेहरबान है। वह बीजेपी नेताओं के हेट स्पीच को नहीं हटाती।
हालांकि इन आरोपों पर फेसबुक ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा था कि कि कंपनी के सोशल मीडिया मंच पर नफरत या द्वेष फैलाने वालों ऐसे भाषणों और सामग्री पर अंकुश लगाया जाता है, जिनसे हिंसा फैलने की आशंका रहती है। कंपनी ने कहा कि उसकी ये नीतियां वैश्विक स्तर पर लागू की जाती हैं और इसमें यह नहीं देखा जाता कि यह किस राजनीतिक दल से संबंधित मामला है।
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फिलहाल एक बार फिर अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल ने फेसबुक इंडिया के अधिकारियों और बीजेपी के बीच कथित साठगांठ को लेकर खुलासा किया है। अखबार ने नया दावा किया है कि फेसबुक इंडिया की पॉलिसी हेड अंखी दास नरेंद्र मोदी की समर्थक हैं। इस आरोप के बाद फेसबुक फिर विपक्ष के निशाने पर है।
वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी रिपोर्ट में भारत में फेसबुक की नीतियां तय करने वाली सबसे बड़ी अधिकारी अंखी दास के काम करने के तरीके और उनकी फेसबुक पोस्ट्स को खंगाला है। अंखी दास पर काफी गंभीर आरोप वॉल स्ट्रीट जर्नल ने लगाया है। यदि ये सही है तो फिर फेसबुक की नीतियां कहीं से सही नहीं है।
अखबार ने अपनी नई रिपोर्ट में अंखी दास के उन तमाम पोस्ट का हवाला दिया है जिसमें उन्होंने पीएम मोदी की पैरवी की है या उनके पक्ष में लिखा है।
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रिपोर्ट में अखबार ने 2014 के आम चुनाव में बीजेपी की बंपर जीत के बाद लिखी एक पोस्ट का हवाला दिया है, जिसमें अंखी दास ने फेसबुक कर्मचारियों के लिए बने ग्रुप पर अपनी पोस्ट में लिखा था-
हमने उनके (नरेंद्र मोदी) सोशल मीडिया कैंपेन के लिए अलख जगाई और बाकी अब सब इतिहास के पन्नों में दर्ज है। ऐसा करने में 30 साल की जमीनी मेहनत लगी है, जिससे आखिरकार भारत से सरकार पोषित समाजवाद को खत्म किया जा सका है।
वॉल स्ट्रीट जर्नल का आरोप है कि अंखी दास ने अपनी दूसरी पोस्ट में कांग्रेस को हराने के लिए मोदी की तारीफ करते हुए उन्हें स्ट्रांगमैन यानी बाहुबली कहा है। उन्होनें मोदी को ऐसा शख्स बताया है जिसने लंबे वक्त से राज कर रही पार्टी को पटखनी दी।
इसके अलावा, रिपोर्ट में अखबार का दावा है कि 2012 के गुजरात इलेक्शन के बाद अंखी दास ने भारतीय जनता पार्टी और मोदी का जिक्र करते हुए लिखा था कि- ‘हमारा गुजरात कैंपेन बहुत सफल रहा है।’
अखबार ने रिपोर्ट में आरोप लगाया है कि इसके बाद बीजेपी ने मोदी के लिए पीएम पद का कैंपेन शुरू किया। इसके लिए फेसबुक ने ट्रेनिंग और सहायता उपलब्ध कराई। इसी के बाद उनके फॉलोअर्स की संख्या 10 लाख को पार कर गई थी।
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अखबार ने फेसबुक की एक अन्य कर्मचारी मिस हरबर्थ के हवाले से बताया कि अंखी दास ने एक पोस्ट में नरेंद्र मोदी को ‘द जॉर्ज वॉशिंगटन ऑफ इंडिया’ लिखा था।
अखबार का आरोप है कि इस दौरान अंखी दास ने अपनी भावनाएं खुलकर व्यक्त की थीं। जब एक सहकर्मी ने ग्रुप में लिखा कि फेसबुक पर कांग्रेस की फॉलोइंग नरेंद्र मोदी के पेज से ज्यादा है तो दास ने कथित तौर पर जवाबी पोस्ट में लिखा- उनकी (नरेंद्र मोदी) तुलना कांग्रेस से करके उन्हें अपमानित मत करो।
रिपोर्ट के मुताबिक अंखी दास ने फेसबुक में अपने इस व्यवहार के बारे में यही जताया कि इससे कंपनी को आगे जाकर फायदा होगा। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि 2014 के अंत तक अंखी दास ने फेसबुक के अपने साथियों से बीजेपी की जीत को लेकर भविष्यवाणियां करनी शुरू कर दीं। उनके अनुसार, इस दावे के पीछे एक बड़े और सीनियर बीजेपी नेता थे, जो उनके दोस्त रहे हैं।
रिपोर्ट में लिखा है कि फेसबुक के कुछ कर्मचारियों ने माना है कि इस तरह के पोस्ट फेसबुक की न्यूट्रल बने रहने की पॉलिसी के खिलाफ हैं। उनका कहना है कि एक तरफ फेसबुक आपत्तिजनक कंटेंट को सख्ती से मॉनिटर करने की बात करता है, दूसरी तरफ सरकार के सामने अपने हितों को लेकर खड़ा रहता है।
रिपोर्ट में ऐसे भी आरोप भी लगाए गए कि फेसबुक से जुड़े और पहले यहां काम कर चुके कर्मचारियों ने भी फेसबुक की पॉलिसी को लेकर विरोध जताया।
अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक दास ने 2012-14 के बीच एक ऐसे फेसबुक ग्रुप में किए, इस तरह के पोस्ट बनाए जो खासतौर पर फेसबुक इंडिया के कर्मचारियों के लिए बनाया गया था। हालांकि फेसबुक के किसी भी ऑफिस में काम करने वाला शख्स ग्रुप को जॉइन कर सकता था। दो साल के दौरान फेसबुक के सैकड़ों कर्मचारी इस ग्रुप का हिस्सा रहे।
अंखी पर लगा यह दूसरा आरोप
वॉल स्ट्रीट जर्नल का अंखी दास पर यह दूसरा बड़ा आरोप है। कुछ दिन पहले ही ङ्खस्छ्व ने रिपोर्ट में आरोप लगाया था कि फेसबुक इंडिया की पॉलिसी हेड अंखी दास ने बीजेपी के भड़काऊ भाषण देने वाले एक पेज को बंद न करने के लिए दबाव डाला था।
अखबार का आरोप था कि अंखी दास हेट स्पीच को लेकर बनाई गई फेसबुक की पॉलिसी का खुलेआम उल्लंघन करवाती रहीं। इस रिपोर्ट के बाद संसद में आईटी मामलों की स्थायी समिति के प्रमुख शशि थरूर ने फेसबुक के अधिकारियों को बुलाकर सफाई मांगने की बात कही थी। इस पर समिति में शामिल बीजेपी ने विरोध जताया था।
फेसबुक को नहीं लगता गलत
अंखी दास पर वॉल स्ट्रीट जर्नल के लगाए नए आरोप पर फेसबुक ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि ऐसी पोस्ट लिखने में कोई बुराई नहीं है।
फेसबुक के प्रवक्ता एंडी स्टोन ने कहा कि (अंखी दास की) इस पोस्ट को संदर्भ से अलग रखकर पेश किया जा रहा है। यह फेसबुक का भारत की सभी पार्टियों को प्लैटफॉर्म पर लाने का प्रयास था, जिसमें बीजेपी भी शामिल थी। यह किसी एक पार्टी से जुड़ा हुआ मामला नहीं है।
इस मामले में अंखी दास ने अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, पर उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर एक पूर्व पुलिस अधिकारी का वह पोस्ट शेयर करने के लिए माफी मांगी है, जिसमें मुसलमानों को एक पतित समुदाय बताया गया है।
बीजेपी ने क्या कहा?
अखबार के इन आरोपों पर बीजेपी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट करके कांग्रेस और फेसबुक का कनेक्शन बता दिया। उन्होंने इस कनेक्शन का किरदार विजय मूर्ति को बताया है। मालवीय ने लिखा है-
मिलिए विजय मालवीय से, फेसबुक के गवर्मेंट आउटरीच प्रोग्राम के मुखिया हैं। इन्होंने राहुल गांधी के साथ तकरीबन एक दशक तक काम किया है (पुराने बॉस के लिए प्रेम अब भी बहुत प्रगाढ़ है)।
Meet Vijaya Moorthy. Supposedly, heads government outreach at Facebook. Worked with Rahul Gandhi’s team for nearly a decade (love for his former boss still going strong)…
Talk about Congress-Facebook nexus?
Well, it seems Congress is running Facebook! pic.twitter.com/nHLMvWXK30
— Amit Malviya (@amitmalviya) August 30, 2020
मालवीय यहीं नहीं रूके। उन्होंने अपने दूसरे ट्वीट में कहा कि ट्विटर की अधिकारी अंखी दास की सिर्फ बीजेपी ही नहीं बल्कि बाकी राजनैतिक दलों से भी खूब करीबियां हैं। इसके लिए उन्होंने ममता बनर्जी और आम आदमी पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ अंखी दास की फोटो पोस्ट करते हुए ट्वीट किया- आखिर कैसे वॉल स्ट्रीट जर्नल के चीनियों को यह नहीं दिखा कि अंखी दास के ऐसे पोस्ट भी हैं, जिसमें वो आम आदमी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस के साथ सहानुभूति जता रही हैं, लेकिन बीजेपी के बारे में बनाए गए एक खास नजरिए से ये आरोप गढ़े जा रहे हैं। क्या ऐसा इसलिए कि वो ऐसा शख्स चाहते हैं, जो निर्विवाद रूप से लेफ्ट से सहानुभूति रखने वाला हो।
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How come the mandarians at WSJ keep missing Ankhi Das’ posts sympathetic to the Aam Aadmi Party or the Trinamool Congress? And keep harping on her perceived bias for the Bharatiya Janata Party? Is it because they want people who are uncompromisingly Left? https://t.co/s9cn5jO18O pic.twitter.com/QNy2MrjWx9
— Amit Malviya (@amitmalviya) August 31, 2020
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कांग्रेस ने साधा निशाना
वॉल स्ट्रीट जर्नल की नई रिपोर्ट छपते ही कांग्रेस ने फिर निशाना साधा है। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने रिपोर्ट के ट्वीट करते हुए आरोप लगाया है कि फेसबुक भारतीय लोकतंत्र और चुनावी प्रक्रिया को लगातार प्रभावित कर रही है। वॉल स्ट्रीट जर्नल ने चौंका देने वाले खुलासे किए हैं। अगर यह आपराधिकता नहीं है तो क्या है। स्वतंत्र जांच के बिना बीजेपी-फेसबुक के गठजोड़ का सच सामने नहीं आएगा।
. #Facebook was subverting India’s Democracy & Electoral Process.
Shocking & gory details revealed by @wsj_com
If this is not “Criminality”, what is?
Nothing short of a “full independent investigation” will unravel all the layers of BJP-Facebook nexus ! pic.twitter.com/EnUI2lS6y7
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) August 31, 2020