जुबिली स्पेशल डेस्क
पटना। नीतीश कुमार इन दिनों काफी परेशान चल रहे हैं। भले ही वो अपने दुखों को जाहिर नहीं कर रहे हो लेकिन जब से उन्होंने पाला बदला है, तब से उनके चेहरे की हंसी गायब हो गई है।
बीजेपी के साथ चले गए है लेकिन पार्टी के अंदर भी सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। नई सरकार के गठन हुए करीब-करीब एक महीना होने वाला है लेकिन अभी तक नीतीश कुमार ने मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं किया है। इतना ही नहीं सिर्फ आठ मंत्रियों के सहारे उनकी सरकार चल रही है।
अभी तक एनडीए से उनका तालमेल नहीं हो सका है जबकि पार्टी के अंदर भी काफी घमासान मचा हुआ है। नियमों के अनुसार बिहार में कम से कम 36 मंत्री होने चाहिए लेकिन सिर्फ आठ मंत्री के सहारे नीतीश कुमार अपनी सरकार को चला रहे हैं। बिहार से जो खबरे आ रही है उसके मुताबिक नीतीश कुमार फिलहाल किसी तरह से अपनी सरकार को चला रहे हैं लेकिन उनका असली लक्ष्य है लोकसभा चुनाव के साथ-साथ विधान सभा चुनाव कराना।
हालांकि इसको लेकर वो अभी तक खुलकर कुछ नहीं कह रहे लेकिन पूरे बिहार में इसी बात की चर्चा है कि बिहार विधानसभा भंग कर लोकसभा के साथ बिहार विधानसभा का चुनाव कराया जाए। इस वजह से नीतीश कुमार किसी तरह से इस सरकार को चला रहे हैं और मंत्रिमंडल का विस्तार करने से बच रहे हैं।
स्थानीय मीडिया की माने तो लालू के साथ उनका रिश्ता भले ही पहले जैसा न रहा हो लेकिन खराब भी नहीं हुआ है। बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार ने ‘महागठबंधन’ के सामने भी यही प्रस्ताव रखा था लेकिन लालू यादव ने इसे मानने से मना कर दिया था।
इसका खुलासा खुद तेजस्वी यादव ने भी हाल में किया था और कहा था कि नीतीश कुमार विधानसभा भंग कराना चाहते थे. तेजस्वी का दावा है कि कोई विधायक समय से पहले चुनाव कराने के लिए तैयार नहीं था।
अब एनडीए में इसी को लेकर गए है लेकिन अभी तक इस पर किसी भी तरह से एनडीए ने कुछ नहीं कहा है और इस वजह से नीतीश कुमार काफी परेशान चल रहे हैं। दरअसल वक्त से पहले चुनाव कराकर अपना वोट बैंक बढ़ाना चाहते हैं और एनडीए में जाकर लोकसभा चुनाव के दौरान अगर विधान सभा चुनाव होता है तो उनके पार्टी के सीटें बढ़ सकती है जबकि बीजेपी ये नहीं चाहती है ऐसे कुछ हो।