जुबिली न्यूज डेस्क
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने शनिवार को भारत से मैकाले की शिक्षा नीति को पूरी तरह से खारिज करने का आह्वान किया।
नायडू ने कहा कि सरकार पर शिक्षा का भगवाकरण करने का आरोप है, लेकिन भगवा में क्या गलत है? उन्होंने आगे कहा, थॉमस बबिंगटन मैकाले एक ब्रिटिश इतिहासकार थे जिन्होंने भारत में शिक्षा के माध्यम के रूप में अंग्रेजी की शुरूआत में एक प्रमुख भूमिका निभाई।
हरिद्वार के देव संस्कृति यूनिवर्सिटी में उपराष्ट्रपति नायडू ने दक्षिण एशियाई शांति और सुलह संस्थान का उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में कहा कि भारतीयों को अपनी औपनिवेशिक मानसिकता छोड़ देनी चाहिए और अपनी भारतीय पहचान पर गर्व करना सीखना चाहिए।
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नायडू ने यह भी कहा कि शिक्षा प्रणाली का भारतीयकरण भारत की नई शिक्षा नीति का केंद्र है, जो मातृभाषाओं को बढ़ावा देने पर जोर देती है।
उन्होंने कहा, “हम पर शिक्षा का भगवाकरण करने का आरोप है, लेकिन फिर भगवा में गलत क्या है?”
उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा कि हमें अपनी विरासत, अपनी संस्कृति, अपने पूर्वजों पर गर्व महसूस करना चाहिए। हमें अपनी जड़ों की ओर वापस जाना चाहिए। हमें अपनी औपनिवेशिक मानसिकता को त्यागना चाहिए और अपने बच्चों को उनकी भारतीय पहचान पर गर्व करना सिखाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जितनी भी भारतीय भाषाएं हैं, हमें सीखनी चाहिए। हमें अपनी मातृभाषा से प्रेम करना चाहिए। हमें अपने शास्त्रों को जानने के लिए संस्कृत सीखनी चाहिए, जो ज्ञान का खजाना है।
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युवाओं को अपनी मातृभाषा का प्रचार करने के लिए प्रोत्साहित करते हुए उन्होंने कहा, “मैं उस दिन की प्रतीक्षा कर रहा हूं जब सभी नोटिफिकेशन राज्य की मातृभाषा में जारी की जाएंगी। आपकी मातृभाषा आपकी दृष्टि की तरह है। उन्होंने कहा कि भारत आने वाले विदेशी व्यक्ति अंग्रेजी जानने के बावजूद अपनी मातृभाषा में बोलते हैं क्योंकि उन्हें अपनी भाषा पर गर्व है।
नायडू ने कहा, “सर्वे भवन्तु सुखिन: (सभी खुश रहें) और वसुधैव कुटुम्बकम (दुनिया एक परिवार है), जो हमारे प्राचीन ग्रंथों में निहित दर्शन हैं, आज भी भारत की विदेश नीति के मार्गदर्शक सिद्धांत हैं।”