जुबिली न्यूज डेस्क
भारत में महिलाएं असुरक्षित हैं ऐसी कई कई रिपोर्ट पिछले कुछ सालों में ऐसी कई रिपोर्ट आ चुकी है जिसमें कहा गया है कि भारत महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है। ऐसी रिपोर्ट से पूरी दुनिया में भारत की छवि को प्रभावित होती है, पर इसकी किसी को चिंता नहीं है।
भारत में बेटियों के साथ बलात्कार, छेडख़ानी, यौन उत्पीडऩ जैसी घटनाएं आम बात हो गई हैं। कुछ ही घटनाओं पर हो-हल्ला मचता है और उस पर बातचीत होती है।
पिछले महीने हाथरस में एक बेटी के साथ हैवानियत की सारी सीमा पार कर दी गई। इस मामले में यूपी सरकार की कानून-व्यवस्था सवालों के घेरे में है। यह मामले पर पूरे देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी आवाज उठी। ब्रिटेन में एक सांसद ने 30 से ज्यादा महिला समूहों और दलित संस्थानों के साथ इस मामले में संयुक्त राष्ट्र (यूएन) से दखल देने की अपील की थी और इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हटाए जाने की मांग भी उठाई थी।
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अब इस मामले में संयुक्त राष्ट्र की स्थाई समन्वयक रेनाटा डेसालिएन की प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने कहा कि हाथरस और बलरामपुर में हुई कथित सामूहिक बलात्कार और हत्या की घटनाएं यह बताती हैं कि समाज के वंचित तबके के लोगों को लिंग आधारित हिंसा/अपराध का खतरा ज्यादा है।
उत्तर प्रदेश में हुई इन घटनाओं पर भारत में संयुक्त राष्ट्र की स्थाई समन्वयक की ‘गैरजरूरी’ टिप्पणी पर भारत ने कहा कि ‘किसी भी बाहरी एजेंसी की टिप्पणी को नजरअंदाज करना उचित होगा’ क्योंकि मामलों में जांच अभी जारी है।
विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि सरकार इन मामलों को ‘बहुत गंभीरता’ से ले रही है।
रेनाटा डेसालिएन ने अपने बयान में कहा कि यह आवश्यक है कि प्रशासन सुनिश्चित करे कि दोषियों को जल्दी न्याय की जद में लाया जाए, परिवारों को समय पर न्याय पाने के लिए सशक्त बनाया जाए, उन्हें सामाजिक समर्थन, काउंसिलिंग, स्वास्थ्य सुविधा और पुनर्वास की सुविधा दी जाए।
बयान में यह भी कहा गया है कि भारत में महिलाओं और बच्चियों के खिलाफ लगातार हो रही यौन हिंसा को लेकर संयुक्त राष्ट्र दुखी और चिंतित है।
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इधर संयुक्त राष्ट्र पदाधिकारी की टिप्पणी पर मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा की कुछ हालिया घटनाओं को लेकर संयुक्त राष्ट्र की स्थाई समन्वयक द्वारा कुछ ‘गैरजरूरीÓ टिप्पणियां की गई हैं। उन्होंने कहा, ‘भारत में संयुक्त राष्ट्र की स्थाई समन्वयक को यह ज्ञात होना चाहिए कि सरकार ने इन मामलों को बहुत गंभीरता से लिया है।Ó