जुबिली न्यूज डेस्क
आधार कार्ड से न जुड़े होने के कारण करीब तीन करोड़ राशन कार्ड को रद्द कर दिया गया है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की है।
सुप्रीम कोर्ट ने इसे ‘अत्यंत गंभीर’ मामला बताया है तथा इस मामले में केंद्र सरकार एवं सभी राज्यों से जवाब भी मांगा है।
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और जस्टिस एएस बोपन्ना एवं जस्टिस वी. रामसुब्रमण्यन की पीठ ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए ये बात कही।
याचिकाकर्ता की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ वकील कोलिन गोंजाल्विस ने कहा कि ‘आधार कार्ड से ना जुड़ा होने के कारण उनका राशन कार्ड स्थानीय प्राधिकारियों ने रद्द कर दिया था, जिसकी वजह से मार्च 2017 में उनके परिवार को राशन मिलना बंद हो गया था और पूरे परिवार को भूखे रहने पर मजबूर होना पड़ा था।’
याचिकाकर्ता ने अदालत से कहा कि ‘उनकी बेटी संतोषी को भोजन ना मिल पाने की वजह से मौत हो गई थी।’ झारखण्ड से आने वाली 11 वर्षीय संतोषी की भूख के कारण 28 सितंबर 2018 को मौत हुई थी। संतोषी की बहन गुडिय़ा देवी इस मामले में संयुक्त याचिकाकर्ता हैं।
याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि ‘संतोषी की मौत के दिन भी उनकी मां चाय के साथ उसे केवल नमक दे सकी थीं, क्योंकि रसोई में सिर्फ वही मौजूद था। इसके बाद उसी रात संतोषी की मौत हो गई।’
सुनवाई की शुरुआत में ही वकील कोलिन गोंजाल्विस ने कहा कि ‘ये याचिका एक बड़े मामले को उठाती है।’ उन्होंने कहा, “यह मामला महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि केंद्र सरकार ने इसी तरह कऱीब तीन करोड़ राशन कार्ड रद्द कर दिये हैं।’
हालांकि, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अमन लेखी ने कहा कि ‘कोलिन गोंजाल्विस का यह दावा गलत है कि केंद्र सरकार ने राशन कार्ड रद्द कर दिये हैं।’
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इस पर पीठ ने कहा कि ‘हम आपसे (केंद्र से) आधार कार्ड मामले के कारण जवाब मांग रहे हैं। यह विरोधात्मक मुकदमा नहीं है। हम इस पर सुनवाई करेंगे। नोटिस जारी किए जायें, जिन पर चार सप्ताह में जवाब दिया जाए, क्योंकि यह बहुत गंभीर मामला है।’
सुप्रीम कोर्ट ने 9 दिसंबर, 2019 को वैध आधार कार्ड नहीं होने पर राशन आपूर्तियों से वंचित किये जाने के कारण लोगों की मौत होने के आरोप को लेकर सभी राज्यों से जवाब मांगा था।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पीठ ने कहा था, ‘राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 की धारा-14, 15 और 16 में शामिल शिकायतों के निवारण तंत्र के कार्यान्वयन के लिए उन्होंने जो कदम उठाये हैं, उन पर प्रतिक्रिया देने वाले राज्यों को चार सप्ताह में जवाब देने योग्य नोटिस जारी करें। राज्य के स्थायी वकील को नोटिस दिया जा सकता है।
इससे पहले केंद्र सरकार ने कहा था कि रिपोर्ट से पता चलता है कि मौतें भूख से नहीं हुई थीं।’
केंद्र सरकार ने कहा था कि ‘वैध आधार कार्ड की कमी के कारण किसी को भी भोजन से वंचित नहीं किया गया था।’