जुबिली न्यूज डेस्क
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री व पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती के खिलाफ गुरुवार को लोग सड़क पर उतरे। महबूबा के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन कर रहे लोगों ने कहा कि महबूबा मुफ्ती को जेल के अंदर डाला जाना चाहिए।
दरअसल महबूबा मुफ्ती ने मंगलवार को एक बयान दिया था जिसमें उन्होंने कहा था कि कश्मीर के मसले पर पाकिस्तान भी एक पार्टी है और उससे बातचीत की जानी चाहिए।
मुफ्ती के इस बयान की खूब आलोचना हुई थी। आज जम्मू में डोगरा फ्रंट नाम के संगठन से जुड़े लोग सड़कों पर उतरे और मुफ्ती के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया।
इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि मुफ्ती के इस बयान के लिए उन्हें जेल के अंदर डाला जाना चाहिए। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘यह आंदोलन महबूबा मुफ्ती के बयान के खिलाफ है, जो उन्होंने गुपकार गठबंधन दलों की मीटिंग के बाद दिया था। उन्हें इस बयान के लिए जेल भेजा जाना चाहिए।’
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पीडीपी की नेता और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती आज कश्मीर के मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से बुलाई गई मीटिंग में हिस्सा लेंगी। उनके अलावा नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला और कांग्रेस के नेता भी हिस्सा लेंगे।
मोदी की ओर से जम्मू-कश्मीर के 8 राजनीतिक दलों के 14 नेताओं को बातचीत के लिए आमंत्रित किया गया है। जम्मू कश्मीर से 5 अगस्त. 2019 को आर्टिकल 370 और 35्र को हटा दिया गया था। इसके बाद केंद्र की ओर से वहां के राजनीतिक दलों के साथ बातचीत की पहली बार पेशकश की गई है।
8 राजनीतिक दलों के 14 नेता होंगे मोदी की मीटिंग में शामिल
जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किये जाने तथा उससे संबंधित विशेष अनुच्छेद को निरस्त किये जाने का विरोध कर रहे गुपकार गठबंधन के नेताओं ने सर्वदलीय बैठक में हिस्सा लेने के प्रधानमंत्री के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है।
उनका एक दल नेशनल कांफ्रेन्स के नेता फारूक अब्दुल्ला तथा पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती की अगुवाई में बैठक में शिरकत करेगा। कांग्रेस ने भी पुष्टि की है कि उसकी ओर से वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद बैठक में हिस्सा लेंगे। बैठक में आठ राजनीतिक दलों के 14 नेताओं के शामिल होने की संभावना है।
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जम्मू-कश्मीर में जारी किया गया हाई अलर्ट
जम्मू कश्मीर में राजनीतिक लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही इस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, प्रधानमंत्री के प्रधान सलाहकार, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, केंद्र शासित प्रदेश के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा और कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी हिस्सा लेंगे।
हालांकि आधिकारिक तौर पर इस बैठक का कोई एजेंडा तय नहीं किया गया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि इसमें केंद्र शासित राज्य में राजनीतिक प्रक्रिया शुरू करने के उपायों पर विचार विमर्श किया जा सकता है। राज्यों में चुनावों की प्रक्रिया के बारे में भी चर्चा होने की संभावना है।