जुबिली न्यूज डेस्क
अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी ने कहा कि काबुल छोड़ने का फैसला उन्होंने मिनटों में लिया था। उन्होंने कहा कि काबुल छोड़ने का फैसला मुझे भी नहीं पता था।
पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी ने यह बातें बीबीसी रेडियो 4 से कही है। मालूम हो कि अफगानिस्तान छोड़ने को लेकर अशरफ गनी की पूरी दुनिया में आलोचना हुई। गनी पर लाखों रुपये लेकर अफगानिस्तान छोड़ने का आरोप भी लगा।
अफगानिस्तान छोड़ने के बाद से अशरफ गनी संयुक्त अरब अमीरात में हैं।
‘मुझे नहीं पता था कि मुझे काबुल छोड़ना पड़ेगा’
बीबीसी रेडियो 4 से बातचीत में पूर्व राष्ट्रपति गनी ने कहा, 15 अगस्त को जब इस्लामी अतिवादियों ने काबुल पर कब्जा कर लिया और मेरी सरकार गिर गई। मुझे कोई आभास तक नहीं था कि अफगानिस्तान में यह मेरा आखिरी दिन होने वाला है।
यह भी पढ़ें : पीयूष जैन के बाद अब सपा MLC के ठिकानों पर आयकर विभाग का छापा
यह भी पढ़ें : कोरोना : बीते 24 घंटे में संक्रमण के 16,764 मामले, ओमिक्रॉन के केस बढ़े
यह भी पढ़ें : कोरोना की चौथी लहर का पीक शायद निकल चुका है: दक्षिण अफ्रीका
उन्होंने कहा, दोपहर तक राष्ट्रपति भवन की सुरक्षा भी खत्म हो चुकी थी। अगर मैं कोई स्टैंड लेता तो वे सभी मारे जाते। वे मेरा बचाव करने में सक्षम नहीं थे।
गनी ने कहा, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हमदुल्ला मोहिब बहुत डरे हुए थे। उन्होंने मुझे दो मिनट से अधिक का समय नहीं दिया। उन्होंने खोस्त, जलालाबाद आदि शहरों के बारे में सोचा लेकिन ये शहर तालिबान के कब्जे में आ चुके थे। लेकिन जब हमने उड़ान भरी तो यह साफ था कि हम जा रहे हैं।
पैसे लेकर भागने के आरोप पर गनी ने क्या कहा?
अशरफ गनी पर लाखों रुपये लेकर अफगानिस्तान छोडऩे का आरोप लगा। लेकिन उन्होंने पैसे लेकर अफगानिस्तान छोडऩे से साफ मना कर दिया।
उन्होंने कहा कि मेरी पहली चिंता काबुल में होने वाली लड़ाई को रोकने की थी। काबुल को बचाने के लिए मुझे ऐसा करना पड़ा। यह कोई राजनीतिक समझौता नहीं था, यह एक हिंसक तख्तापलट था।
यह भी पढ़ें : कोरोना संक्रमित महिला ने विमान के शौचालय में बिताए 5 घंटे
यह भी पढ़ें : कन्नौज में मंच पर बैठने को लेकर आपस में ही भिड़े बीजेपी नेता, देखें वीडियो
यह भी पढ़ें : WHO ने कहा-ओमिक्रॉन और डेल्टा मिलकर ला रहे हैं दुनिया में ‘कोरोना की सुनामी’
गनी ने सफाई देते हुए कहा कि मुझे बलि का बकरा बनाया गया। मेरे जीवन के सभी काम इसके नीचे दबा दिए गए। मेरे मूल्यों को कुचल दिया गया। अफगानिस्तान में जो कुछ हुआ वह अफगानिस्तान का मसला नहीं बनकर अमेरिकी मसला बन गया।