जुबिली न्यूज डेस्क
गुजरात के प्रसिद्ध कथावाचक मोरारी बापू ने हाल ही में एक बयान दिया, जिसमें उन्होंने स्कूलों में धर्म परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव पर चिंता जताई। मोरारी बापू ने कहा कि कई स्कूलों में 75 प्रतिशत शिक्षक ईसाई समुदाय से हैं, जो सरकारी वेतन पर काम करते हैं और छात्रों को धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित करते हैं। उनका यह भी कहना था कि हालांकि कई स्कूलों में गीता जयंती मनाई जाती है, लेकिन ईसाई शिक्षक इस आयोजन में भाग लेने के लिए सहमत नहीं होते, जो उनके अनुसार एक गंभीर चिंता का विषय है।
मोरारी बापू ने तापी के सोनागढ़ में दिए गए अपने संबोधन में कहा कि स्कूलों में धर्मांतरण को बढ़ावा दिया जा रहा है और इसकी सख्त जांच होनी चाहिए। यह बयान उनकी पहले की टिप्पणियों का हिस्सा है, जब उन्होंने आदिवासी इलाकों में स्कूलों की संख्या बढ़ाने की बात की थी और सरकार से गीता का पाठ बच्चों में संस्कार डालने के लिए आयोजित करने की अपील की थी।
मोरारी बापू के इस बयान के बाद, अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने उनकी टिप्पणियों को निराशाजनक बताया। वहीं, गुजरात के शिक्षामंत्री प्रफुल्ल पनसेरिया ने कहा कि हर धर्म को अपनी पूजा करने का अधिकार है, लेकिन यदि छात्रों को गुमराह किया जा रहा है और धर्म का प्रचार किया जा रहा है, तो यह बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस तरह के विचार रखने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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कांग्रेस विधायक तुषार ने भी मोरारी बापू के बयान पर आपत्ति जताई। उनका कहना था कि ईसाई समुदाय के लोग शिक्षा के क्षेत्र में काफी समय से काम कर रहे हैं और धर्मांतरण जैसी कोई समस्या नहीं है। उन्होंने कहा कि दोनों धर्मों के बीच सद्भावना बनी रही है, और इस प्रकार के बयान से बचना चाहिए।