जुबिली स्पेशल डेस्क
पंजाब कांग्रेस में सियासी घमासान मचा हुआ है। इस बार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष से इस्तीफा देना नवजोत सिंह सिद्धू को महंगा पड़ सकता है।
सूत्रों की मानें तो पार्टी आलाकमान नवजोत सिंह सिद्धू के रवैये से सख्त नाराज है।
इसीलिए अब तक दोनों पक्ष में कोई बातचीत नहीं हुई है। अब तो ऐसा माना जा रहा है कि पार्टी सिद्धू को नहीं मनाएगी। इतना ही नहीं कांग्रेस ने पंजाब में नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए मंथन भी शुरू कर दिया है। इस दौड़ में रवनीत सिंह बिट्टू का नाम सबसे आगे चल रहा है।
उधर सिद्धू ने तीन शर्तें रखी है। हालांकि आलाकमान इससे मानने को तैयार नहीं है। कांग्रेस से मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस आलाकमान भी अब चरणजीत सिंह चन्नी का साथ देने का मन बना लिया है और उनके साथ खड़ा नज़र आ रहा है।
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दूसरी ओर खुद मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा है कि सिद्धू से बात करेंगे इस पूरे मामले पर। हालांकि वो आरोपों से बचते नज़र आ रहे है।
सिद्धू ने ये रखी हैं शर्तें
नवजोत सिंह सिद्धू ने अपना इस्तीफा देते हुए कहा था कि वह किसी तरह का समझौता नहीं कर सकते हैं। बुधवार को एक वीडियो संदेश में भी उन्होंने सिद्धू ने कहा, ‘प्यारे पंजाबियों, 17 साल का राजनीतिक सफर एक मकसद के साथ किया है।
पंजाब के लोगों की जिंदगी को बेहतर करना और मुद्दों की राजनीति करना। यही मेरा धर्म था और यही मेरा फर्ज है, मैंने कोई निजी लड़ाई नहीं लड़ी है। मेरी लड़ाई मुद्दों की है, पंजाब का अपना एक एजेंडा है। इस एजेंडे के साथ मैं अपने हक-सच की लड़ाई लड़ता रहा हूं, इसके लिए कोई समझौता है ही नहीं है।
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सिद्धू कैंप ने साफ़ किया है कि वह इस्तीफा तभी वापस लेंगे जब उनकी बातों को माना जाएगा। इनमें राणा गुरजीत सिंह को कैबिनेट से हटाना, डीजीपी प्रीत सिंह सहोता को हटाने की मांग की है।
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IPS सहोता ने ही बादल सरकार के दौरान हुए फायरिंग मामले की जांच करने वाली कमेटी की अगुवाई की थी। इसके अलावा एडवोकेट जनरल एपीएस देओल को हटाना शामिल है।