जुबिली स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसानों का आंदोलन एक बार फिर सुर्खियों में है। दरअसल सरकार किसानों से फिर बातचीत करना चाहती है लेकिन उसने साफ कर दिया है कि सरकार कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर बीते दिनों बातचीत करने का फिर प्रस्ताव दिया है लेकिन राकेश टिकैत इसपर अब जवाब दिया है और कहा है कि सरकार चाहे लाठी-डंडे का इस्तेमाल करे, लेकिन जो भी बात होगी वो बिना किसी कंडीशन के होगी। भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत ने कहा है कि सरकार का जो ताज़ा प्रस्ताव आया है, वो शर्तों के साथ आया है।
सरकार बात करने को कह रही है, लेकिन ये भी कह दिया कि कानून वापस नहीं होगा. हमने कोई शर्त नहीं लगाई है, अगर कानून वापसी पर चर्चा होती है तो हम बातचीत शुरू करना चाहते हैं।
राकेश टिकैत ने आगे कहा कि हम आठ महीने से आर-पार के मूड में ही बैठे हैं, जो जिस भाषा में आर-पार समझता हो, वही समझे।
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हम तो कह रहे हैं कि हम शांति से बैठे हैं, हमें छेड़ो नहीं और सरकार कह रही है कि यहां से चले जाओ। लेकिन अगर हम जाएंगे तो बातचीत से, नहीं तो लाठी-डंडे-गोली जिससे सरकार भगाना चाहे भगा दे।
मालूूम हो कि पिछले साल 26 नवंबर को दिल्ली की सीमाओं पर किसानों ने अपना आंदोलन शुरु किया था। राकेश टिकैत भी तभी से सीमा पर डटे हुए हैं।
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बीते कुछ महीनों से कोरोना की दूसरी लहर के चलते किसानों का आंदोलन थोड़ा कमजोर पडऩे लगा है लेकिन एक बार फिर किसान आंदोलन को नई जान देने की तैयारी है।
दरअसल कोरोना अब थोड़ा कमजोर पडऩे लगा है। ऐसे में देश में किसान आंदोलन को और मजबूती देने के लिए एक बार फिर किसानों ने हुंकार भरी है।
बता दें कि जैसे-जैसे कोरोना तेज हुआ है वैसे-वैसे किसान आंदोलन पर चर्चा कम हो गई थी। भले ही सरकार किसान आंदोलन पर चुप्पी साधे हुए है लेकिन किसान झुकने को तैयार नहीं है।
26 जनवरी को दिल्ली में किसानों के ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा की वजह से किसान आंदोलन कमजोर होता दिख था। जिस तरह से किसानों के आंदोलन को जन समर्थन मिल रहा है उसमें काफी गिरावट आई थी।