जुबिली न्यूज डेस्क
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को मुख्यमंत्रियों के साथ वर्चुअल बैठक की। बैठक में उन्होंने कोरोना वैक्सीन की कीमत, डोज और कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर अहम बातें की।
बैठक में उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण से होने वाली मौतों और रिकवरी के मामले में भारत दूसरे देशों के मुकाबले बेहतर स्थिति में हैं। पीएम ने इसके लिए साझा प्रयास को श्रेय दिया।
इस दौरान पीएम मोदी ने कोरोना वैक्सीन को लेकर भी कई अहम बातें कहीं। उन्होंने कहा कि भारत जो भी कोरोना की वैक्सीन अपने नागरिकों को देगा वह वैज्ञानिकों की हर कसौटी पर खड़ा उतरेगा। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना से जुड़े कई सवालों के जवाब अभी पता नहीं हैं।
कोरोना के बढ़ते संक्रमण पर मोदी ने कहा, ”हमें संक्रमण रोकने के लिए और प्रयास बढ़ाने की जरूरत है। संक्रमण दर को 5 पर्सेंट से कम लाना होगा।
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मोदी ने सभी मुख्यमंत्रियों से कोविड-19 रणनीति संबंधी फीडबैक लिखित में साझा करने का आह्वान किया करते हुए कहा कि कोई भी अपना विचार थोप नहीं सकता और सभी को मिलकर काम करना होगा। मोदी ने मुख्यमंत्रियों से कहा, चिकित्सा महाविद्यालयों और जिला अस्पतालों में पर्याप्त ऑक्सीजन की आपूर्ति की कोशिश की जा रही है, पीएम केयर्स कोष का इस्तेमाल वेंटिलेटर की आपूर्ति के लिए किया गया।
उन्होंने कहा कि हमें राज्य के स्केल पर चर्चा करने के बजाय लोकल लेवल पर ध्यान देना होगा। आरटीपीसीआर टेस्ट की संख्या बढ़ानी होगी। घरों में क्वारंटाइन मरीजों की देखभाल बढ़ानी होगी। कम्युनिटी हेल्थ सेंटर्स को बेहतर बनाना होगा। हमारा लक्ष्य होना चाहिए कि मृत्यु दर को 1 पर्सेंट से भी नीचे लाएं। एक भी मौत हुई तो क्यों हुई? जागरूकता अभियानों में कोई कमी ना आए।”
प्रधानमंत्री ने कहा, आज दुनिया के कई देशों और अपने देश में वैक्सीन का काम आखिरी दौर में है। भारत सरकार हर डिवेलपमेंट पर नजर रखे हुए है। अभी यह तय नहीं है कि वैक्सीन की एक डोज लेनी होगी या दो, कीमत कितनी होगी। अभी बहुत से सवालों के जवाब नहीं हैं। हम भारतीय डिवलपर्स और मैन्युफैक्चरर्स के साथ संपर्क में हैं। ग्लोबल डिवलपर्स और इंटरनेशल कंपनीज के साथ जितना संपर्क बन सके इसको लेकर व्यवस्था बनी हुई है।”
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मोदी ने कहा, ”कोरोना के खिलाफ लड़ाई में शुरुआत से ही हमने एक-एक देशवासी की जिंदगी बचाने पर जोर दिया है। कोरोना का टीकाकरण का अभियान लंबा चलना है। इसके लिए सभी को मिलकर काम करना होगा। वैक्सीन को लेकर भारत का अनुभव दूसरे देशों से ज्यादा है। दुनिया में कई दवाएं सालों से प्रचलित होने के बावूजद भी उसके साइड इफेक्ट हैं। भारत जो भी वैक्सीन नागरिकों को देगा वह वैज्ञानिकों के मुताबिक हर कसौटी पर उतरेगा।”
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