जुबिली स्पेशल डेस्क
रूस और यूक्रेन में तनाव बढ़ता जा रहा है। दोनों देशों के बीच जंग जैसी स्थिति पैदा हो गई है। दरअसल जब लुहांस्क-डोनेस्टक को पुतिन ने स्वतंत्र देश घोषित कर दिया है।
इतना ही नहीं पुतिन ने मॉस्को समर्थित क्षेत्रों की स्वतंत्रता को मान्यता देने वाले फरमानों पर हस्ताक्षर करने के कुछ ही घंटों बाद पूर्वी यूक्रेन के अलगाववादियों के कब्जे वाले हिस्सों में सैनिकों को भेजने का फरमान जारी कर दिया है।
इसके बाद से पूरी दुनिया में हलचल मच गई है। रूस के इस कदम पर दुनिया के कई देशों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। इस संकट के बीच भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सभा पक्षों के बीच कूटनीटिक और राजनयिक बातचीत का आह्वान किया है। भारत ने कहा है कि सैन्य वृद्धि हमारे लिए ठीक नहीं हो सकता है।
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यूएनएससी की बैठक में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा, कि रूस-यूक्रेन संकट की तत्काल प्राथमिकता डी-एस्केलेशन है। सीमा पर सैन्य वृद्धि हमारे लिए सही कदम नहीं हो सकता है।
हम सभी पक्षों से संयम का आह्वान करते हैं। हम आश्वस्त हैं कि यह मुद्दा केवल राजनयिक बातचीत के माध्यम से हल किया जा सकता है। हमें तनाव को कम करने की कोशिश करने वाली पार्टियों द्वारा हाल ही में की गई पहलों को जगह देने की जरूरत है।
मीडिया रिपोट्र्स की माने तो अब कई अमेरिकी और पश्चिमी अधिकारियों को लगता है कि रूस अब यूक्रेन के खिलाफ एक बड़े सैन्य अभियान की शुरुआत हो सकती है।
वहीं सोमवार की रात को पुतिन जो भाषण दिया उससे ये तय लग रहा था कि रूस यूक्रेन के खिलाफ कोई बड़ा कदम उठाने वाला है। उन्होंने पश्चिम के साथ कीव के बढ़ते सुरक्षा संबंधों की आलोचना की।