न्यूज डेस्क
दिल्ली में जो कुछ भी हो रहा है वह नेताओं की बदजुबानी का ही नतीजा है। नेताओं के हिंसक भाषण इसके लिए जिम्मेदार हैं। नेताओं की बयानबाजी पर न तो उनकी पार्टी कोई कड़ा कदम उठाती है और न ही पुलिस कोई कार्रवाई करती है। दिल्ली पुलिस की भूमिका पर तो काफी समय से सवाल उठ रहा है।
दिल्ली पुलिस लगातार कोर्ट के निशाने पर है। कभी वह सुप्रीम कोर्ट से तो कभी हाईकोर्ट से फटकार खा रही है। बुधवार को एक बार फिर दिल्ली पुलिस को दिल्ली हाईकोर्ट की खरी-खरी सुननी पड़ी।
दरअसल सीएए के समर्थकों और विरोधियों के बीच हुई हिंसा को लेकर बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान जज भड़क गए और दिल्ली पुलिस को खरी-खरी सुनाई। कोर्ट रूम में सुनवाई के दौरान बीजेपी नेता कपिल मिश्रा के भड़काऊ भाषण का क्लिप चलाया गया।
इस दौरान जस्टिस मुरलीधर ने कहा कि स्थिति काफी खराब है। हमने सभी वीडियो देखे हैं। कई नेता भड़काऊ भाषण दे रहे हैं। वीडियो कई सारे न्यूज चैनलों पर मौजूद है।
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We don’t want to another Shaheen Bagh in Delhi. Thank you Kapil Mishra Ji .@KapilMishra_IND. You are a true Hindu and Indian. #ISupportKapilMishra pic.twitter.com/SisBHm188I
— Renee Lynn (@Voice_For_India) February 24, 2020
हाईकोर्ट ने सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता, डीसीपी (अपराध) से कहा कि क्या उन्होंने भाजपा नेता कपिल मिश्रा का कथित तौर पर नफरत फैलाने वाले भाषण का वीडियो क्लिप देखा है? इस पर दिल्ली पुलिस ने कहा कि उसने कपिल मिश्रा का वीडियो नहीं देखा है जिसके बाद जज भड़क गए।
जस्टिस मुरलीधर ने कहा कि हम पुलिस के रवैये से हैरान हैं। कोर्ट ने एसजी से पुलिस कमिश्नर को भड़काऊ भाषण देने वाले बीजेपी नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की सलाह देने के लिए भी कहा। इसके अलावा उच्च न्यायालय ने केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा का भी वीडियो देखा। इस मामले की आगे की सुनवाई दोपहर बाद होगी।
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